Health Tips- क्या आप भी चिलचिलाती गर्मी से परेशान हैं, तो अपनाए ये टिप्स
अप्रैल शुरु होने के साथ ही मौसम चिलचिलाती गर्मी में बदल जाता हैं, जो लोगो को बहुत ही परेशान करती हैं, इनसे बचने के लिए लोग कूलर और एसी का सहारा लेते हैं, गर्मी के इन दिनों में कृत्रिम रूप से ठंडी हवा से मिलने वाली राहत अमूल्य हो जाती है। लेकिन प्राकृतिक उपचार में पौधों का महत्व बहुत ज्यादा है। वनस्पतियों की प्रचुरता के बीच, मिमोसा पौधा एक उल्लेखनीय इकाई के रूप में उभरता है, जिसे लाजवंती और शर्मिली जैसे विभिन्न उपनामों से जाना जाता है। मिमोसा पोधा स्वास्थ्य लाभों का खजाना है, जिसे अक्सर इसकी चंचल प्रतिष्ठा के बीच नजरअंदाज कर दिया जाता है।
मिमोसा की शीतलता प्रकृति प्रमुखता से सामने आती है, जो पित्त दोष को शांत करने और विभिन्न बीमारियों को कम करने में अपनी प्रभावकारिता के लिए प्रतिष्ठित है। इसके एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण इसे चोटों, घावों और कई स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों को कम करता हैं, आइए जानते हैं इनके बारे में-
आइए मिमोसा पौधे के विविध लाभों के बारे में जानें:
पेट की समस्याओं से राहत: छुईमुई की जड़ अपच या भारी भोजन से उत्पन्न होने वाली पेट की परेशानी से निपटने में सहायक साबित होती है। छुईमुई की जड़ के पाउडर को दही के साथ सेवन करने से ऐसी तकलीफों में राहत मिलती है।
सूजन और बवासीर से राहत: मिमोसा का ठंडा प्रभाव और वात संतुलन गुण बवासीर को कम करने, साथ में होने वाली असुविधा और जलन को कम करने में सहायता करते हैं।
मधुमेह प्रबंधन: मधुमेह प्रबंधन के लिए मिमोसा एक वरदान के रूप में उभरता है। उबले हुए मिमोसा के पत्तों या उनके काढ़े का सेवन रक्त शर्करा के स्तर को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने में मदद करता है।
मानसिक कल्याण: मिमोसा की पित्त संतुलन प्रकृति अतिरिक्त पित्त दोष से उत्पन्न होने वाले माइग्रेन और गंभीर सिरदर्द को कम करने में अपना लाभ बढ़ाती है। मिमोसा की पत्तियों का पेस्ट माथे पर लगाने से पुराने माइग्रेन के दर्द, तनाव और अवसाद से राहत मिलती है।
त्वचा की देखभाल: लाजवंती जड़ी बूटी के अर्क का उपयोग चकत्ते, फंगल संक्रमण, सूजन, सोरायसिस और मुँहासे सहित त्वचा की कई बीमारियों के इलाज में किया जाता है।