त्योहारी सीजन में मिलावटी उत्पादों के बाजार में बिकने की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे जालसाज अपना काम इतनी बारीकी से करते हैं कि बाजार में उपभोक्ताओं के लिए असली और नकली उत्पादों में अंतर करना भी मुश्किल हो जाता है। त्योहारों के दौरान बेसन की बहुत मांग होती है और इसका इस्तेमाल कई तरह के व्यंजनों में किया जाता है।


FSSAI (भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण) ने अपने ट्विटर हैंडल पर मिलावटी बेसन की पहचान करने के लिए एक तकनीक साझा की है। एफएसएसएआई के अनुसार मिलावट अधिक लाभ कमाने के लिए केसरी दाल से बने आटे को बेसन में मिलाते हैं ताकि बेसन पहले की तरह शुद्ध न हो और शरीर को आवश्यक पोषक तत्व न मिलें।

हालांकि एक आसान सी तरकीब से इस घोटाले से बचा जा सकता है। इसके लिए सबसे पहले एक परखनली में एक ग्राम बेसन लें। फिर इसमें 3 मिली पानी मिलाएं। अब तैयार घोल में 2 एमएल सांद्र एचसीएल मिलाएं। फिर परखनली को अच्छी तरह हिलाएं और घोल को समान रूप से मिलाने दें। यदि परखनली में बेसन शुद्ध है, तो घोल अपना रंग नहीं बदलेगा। घोल की सतह पर गुलाबी रंग दिखाई दे तो समझ लें कि बेसन मिलावटी है। दरअसल ऐसा मिथेनाइल पीले रंग पर एचसीएल की प्रतिक्रिया के कारण होता है। दोनों संयोजनों के कारण विलयन की सतह पर गुलाबी रंग दिखाई देता है।

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