कई बार हमें दिन भर की थकान के बाद भी नींद नहीं आती है इस समस्या को स्लीप डिसऑर्डर के नाम से जाना जाता है। हैरानी की बात यह है कि यह समस्या सिर्फ बड़ों को ही नहीं बल्कि बच्चों को भी हो सकती है। नींद संबंधी विकार चिड़चिड़ापन, क्रोध, भोजन को ठीक से न पच पाने, अनिद्रा के कारण पेट की समस्याओं के कारण हो सकते हैं। बच्चों में इस समस्या के लक्षण कुछ अलग दिखाई दे सकते हैं।

यदि कोई बच्चा रात में बार-बार जागता है या उसे वापस सोने में परेशानी होती है, तो उसे नींद की बीमारी हो सकती है। अगर कोई बच्चा दिन में 10 से 15 मिनट की बहुत अधिक झपकी लेता है, तो भी यह नींद की बीमारी का लक्षण हो सकता है।
इसके अलावा बच्चे का चिड़चिड़ापन और जरा सी बात पर गुस्सा आना। बच्चा खेलने के बजाय चुपचाप बैठा रहता है।


माता-पिता मौसमी बीमारी या पेट संबंधी समस्याओं के कारण बच्चों को दवा देना शुरू कर देते हैं। भारी खुराक से भी बच्चों में कम नींद आती है। कभी-कभी वातावरण बहुत शोरगुल वाला होता है। इससे बच्चे की नींद भी खराब हो सकती है। इसलिए बच्चों को सोते समय आसपास के वातावरण को शांत रखने का विशेष ध्यान रखें। बच्चे अक्सर शीतल पेय पीते हैं। एनर्जी ड्रिंक और सोडा जैसे पेय पदार्थों में महत्वपूर्ण मात्रा में कैफीन होता है। कैफीन का सेवन भी छोटे बच्चों में नींद न आने का एक कारण है।

बच्चों के अच्छे शारीरिक और मानसिक विकास के लिए पर्याप्त नींद जरूरी है। बच्चा कितनी देर तक सोता है यह उसकी उम्र पर भी निर्भर करता है। 1 साल तक के बच्चों को 12-14 घंटे की नींद की जरूरत होती है। 3-5 साल के बच्चों को 10-12 घंटे और 6-12 साल के बच्चों को 9-11 घंटे की नींद की जरूरत होती है। वहीं, 13-16 साल के बच्चों को 10 घंटे की नींद की जरूरत होती है। इसलिए बच्चों के सोने के समय का भी ध्यान रखें।

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