हिंदू धर्मशास्त्रों में पवन पुत्र हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी थे और उनका कभी किसी स्त्री से कोई संबंध नहीं रहा। राम भक्त हुनमान ने अपनी पूरी जिंदगी भगवान राम की आराधना और सेवा में समर्पित कर दी थी। ऐसे में चौंकाने वाली बात यह है कि हनुमान जी का एक पुत्र भी था।

जी हां, हनुमानजी के उस पुत्र का नाम मकरध्वज था। मकरध्वज अपने पिता के समान बलशाली और कर्तव्यनिष्ठ था। आज भी देश में कई स्थानों पर मकरध्वज की पूजा की जाती है। अब आप सोच रहे होंगे कि हनुमान जी तो बाल ब्रह्मचारी थे, फिर उनके पुत्र मकरध्वज का जन्म कैसे हो गया। मकरध्वज ने अपने पिता हनुमान जी से युद्ध क्यों किया। यह सब जानने के लिए ये स्टोरी जरूर पढ़ें।

सीता हरण के पश्चात उनका पता लगाने के लिए हनुमान जी लंका पहुंचे थे, इस दौरान उन्होंने रावण के अति प्रिय पुत्र अक्षय कुमार का ना केवल वध कर दिया बल्कि लंका को भी जलाकर खाक कर दिया था। कथा के मुताबिक, लंका दहन के पश्चात अपने पूंछ की आग बुझाने तथा शरीर की गर्मी शांत करने के लिए वह समुद्र में उतरे थे। आग की वजह से उनके शरीर से पसीना निकल रहा था, समुद्र में उतरते समय उनके पसीने की कुछ बूंदें एक मछली के मुंह में चली गई, जिसने हनुमान जी के पुत्र को जन्म दिया।

पाताल लोकवासियों जब एक मछली को काटा तो उसके पेट से एक विचित्र जीव मिला। उन दिनों रावण का छोटा भाई अहिरावण पाताललोक में राज करता था। उसने मकरध्वज का पालन-पोषण किया। जब मकरध्वज बड़ा होकर शक्तिशाली योद्धा बन गया तब अहिरावण ने उसे पाताल लोक का रक्षक नियुक्त कर दिया।

रामायण के मुताबिक, युद्ध के अंत में जब अहिरावण ने राम और लक्ष्मण को कैद कर लिया था। तब हनुमान जी उन्हें मुक्त करवाने के लिए पाताल लोक पहुंचे थे। पाताल लोक के द्वार पर हनुमान जी से उस ताकतवर जीव की मुलाकात हुई, जिसका शरीर आधा वानर और आधा मछली का था। वह विचित्र जीव खुद को हनुमान पुत्र बता रहा था।

तब हनुमान जी ने अपनी शक्ति के प्रभाव से इस सच्चाई को जान लिया। मकरध्वज ने अपने पिता हनुमान जी से आशीर्वाद मांगा। मकरध्वज ने हनुमान जी से कहा कि मैं अहिरावण के साथ विश्वासघात नहीं कर सकता, इसलिए राम-लक्ष्मण को छुड़ाने के लिए आपको मुझसे युद्ध करना होगा। बेटे के कर्तव्य की खातिर हनुमान जी को मकरध्वज से युद्ध करना पड़ा।

आखिरकार महाबली हनुमान ने मकरध्वज को पराजित करने के साथ अहिरावण का भी वध कर दिया। राम और लक्ष्मण को मुक्त कराने के बाद उन्होंने मकरध्वज को पाताल लोक का राजा बना दिया। गौरतलब है कि आज भी देश में कई स्थानों पर हनुमान के साथ ही मकरध्वज की भी पूजा की जाती है। बता दें कि गुजरात में द्वारका से 2 किमी दूर स्थित बेटद्वारका के हनुमान मंदिर में बजरंगबली के साथ मकरध्वज की भी पूजा की जाती है। राजस्थान में अजमेर के निकट ब्यावर में मकरध्वज बालाजी धाम है।

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