हाल के वर्षों में, पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) की बहाली के लिए देशव्यापी मांग उठ रही है। राष्ट्रीय स्तर पर गति पकड़ रहा यह आंदोलन चुनावी मौसम के दौरान चरम पर होता है, 2024 में लोकसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही चल रही बहस को और हवा मिल जाती है। विपक्षी दलों द्वारा इस मुद्दे का समर्थन करने के बावजूद, सरकार पुरानी पेंशन प्रणाली पर वापस लौटने के लिए अनिच्छुक दिख रही है। जैसे-जैसे चुनावी बयानबाजी बढ़ती जा रही है, सवाल उठता है कि क्या मोदी सरकार कर्मचारियों की मांगों पर विचार कर पुरानी पेंशन योजना को बहाल कर सकती है? आज हम लेख के माध्यम से आपको इस स्कीम के बारे में सम्पूर्ण जानकरी बात बताएंगे-

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पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस):

2004 से पहले प्रचलित ओपीएस, सरकारी कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के समय उनके वेतन के आधार पर एक निश्चित पेंशन प्रदान करता था। 1 अप्रैल 2004 को बंद की गई इस योजना को राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) द्वारा प्रतिस्थापित किया गया। हाल के दिनों में इसके जीर्णोद्धार की मांग तेज़ हो गई है, जिससे इसके फ़ायदों और कमियों का पुनर्मूल्यांकन किया जा रहा है।

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पुरानी पेंशन योजना के लाभ:

निश्चित पेंशन: कर्मचारियों को सेवानिवृत्ति के समय उनके वेतन के आधार पर एक निश्चित पेंशन मिलती थी।

पारिवारिक लाभ: सेवानिवृत्ति के बाद किसी कर्मचारी की मृत्यु के मामले में, पेंशन राशि उनके परिवार को प्रदान की जाती थी।

कोई वेतन कटौती नहीं: राष्ट्रीय पेंशन योजना के विपरीत, पेंशन योगदान के लिए कोई वेतन कटौती नहीं थी।

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प्रतिशत-आधारित पेंशन: ओपीएस में, सेवानिवृत्ति पर अंतिम मूल वेतन का 50% पेंशन के रूप में दिया जाता था।

अतिरिक्त लाभ: चिकित्सा भत्ते, सेवानिवृत्ति के बाद चिकित्सा बिलों का मुआवजा और 20 लाख रुपये तक की ग्रेच्युटी राशि इस योजना का अभिन्न अंग थे।

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