GNSS System Tips- अब नहीं लगेगी टोल पर लंबी लाइन, केंद्र ने नई GNSS-आधारित टोल सिस्टम की चर्चा, जानिए इसके बारे में
दोस्तो हमने हाल ही के सालों में देखा हैं कि देश में रोड़ डेवलपमेंट काफी बढ़ गया है, जिसके लिए सरकार लोगो से टोल लेती हैं, फास्टैग आ जाने से टोल पर लंबी लाइन नहीं लगती हैं और इस सुविधा को और सरल बनाने के लिए केंद्र सरकार ने सैटेलाइट-आधारित नेविगेशन सिस्टम का उपयोग करके टोल संग्रह के लिए एक अग्रणी दृष्टिकोण पेश किया है, जो भारत के बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
इस पहल का उद्देश्य चुनिंदा राष्ट्रीय राजमार्गों पर टोल संचालन को सुव्यवस्थित करने के लिए ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (GNSS) तकनीक का लाभ उठाना है, आइए जानते हैं इसके बारे में डिटेल्स
पायलट अध्ययन कार्यान्वयन:
पायलट परियोजना दो खंडों पर शुरू की गई थी: NH-275 पर बेंगलुरु-मैसूर और NH-709 (पुराना NH-71A) पर पानीपत-हिसार, इस पहल का उद्देश्य मौजूदा FASTag प्रणाली के साथ GNSS-आधारित इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह (ETC) को एकीकृत करना है।
GNSS-आधारित टोल संग्रह के लाभ:
बाधा मुक्त प्रणाली: GNSS-आधारित टोल संग्रह भौतिक बाधाओं को समाप्त करता है, जिससे वाहन टोल बिंदुओं से निर्बाध रूप से गुजर सकते हैं।
दूरी-आधारित चार्जिंग: उपयोगकर्ताओं से राजमार्ग खंड पर यात्रा की गई दूरी के आधार पर शुल्क लिया जाएगा, जिससे निष्पक्षता और दक्षता बढ़ेगी।
कम रिसाव: इस प्रणाली को टोल चोरी को रोकने के लिए डिज़ाइन किया गया है, जिससे राजमार्ग रखरखाव और विकास के लिए राजस्व संग्रह में वृद्धि होगी।