जीवन में किसी भी तरह की परिस्थितियां आ सकती है और कभी भी समय एक जैसा नहीं रहता है। ऐसे में कई लोग विपरीत परिस्थितियों से बहुत जल्दी परेशान हो जाते हैं और सुसाइड का रास्ता चुन लेते हैं। उन्हें लगता है कि ऐसा कर के उन्हें कष्टों से छुटकारा मिल जाएगा लेकिन ऐसा नहीं है।

गरुड़ पुराण में आत्महत्या करने वालों के हश्र के बारे में बताया गया है। इसे अपराध और ईश्वर का अनादर करना बताया गया है। आत्महत्या करने वाला व्यक्ति मृत्यु के बाद और भी बुरी दशा में पहुंच जाता है। इसी बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं कि इस बारे में गरुड़ पुराण क्या कहता है?


गरुड़ पुराण के मु​ताबिक जब कोई आत्महत्या कर लेता है तो उसकी आत्मा अधर में ही लटकी रहती है। ऐसी आत्मा को तब तक दूसरा जन्म या कोई अन्य ठिकाना नहीं मिलता,जब तक कि दुनिया में रहने का उसका चक्र पूरा ना हो जाए। मरने के बाद कुछ आत्माएं 10वें दिन व 13वें दिन में और कुछ आत्माएं 37 से 40 दिनों में शरीर धारण कर लेती हैं. लेकिन आत्महत्या करने वाले को तब तक इस दुनिया में ही भटकना पड़ता है जब तक कि उनका चक्र पूरा न हो जाए।

प्रेत या पिशाच बन भटकती है आत्मा
यदि आत्महत्या करने वाले व्यक्ति की कोई इच्छा अधूरी रह जाए या उसने तनाव के चलते ऐसा किया हो तो ऐसी आत्मा को नया शरीर मिल जाना और भी मुश्किल हो जाता है। आत्मा अतृप्त आत्मा भूत, प्रेत या पिशाच योनि धारण कर भटकती रहती है।

कैसे मिलती है मुक्ति
अकाल मृत्यु से मरने वाले लोगों की आत्मा ना भटके और उन्हें मुक्ति मिल जाए इस बारे में भी उपाय बताए गए हैं। इसके लिए परिजनों को मृत आत्मा के लिए तर्पण, दान, पुण्य, गीता पाठ, पिंडदान करना चाहिए।

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