आप सभी ने सुना होगा और इस बारे में जानते भी होंगे कि मृत्यु के बाद इंसनों को उसके कर्मों का फल भोगना ही पड़ता है। गरुड़ पुराण में भी इस बारे में बताया गया है। जीवन मृत्यु के चरण और मृत्यु के बाद के बारे में गरुड़ पुराण में उल्लेख है। व्यक्ति की मृत्यु के बाद गरुड़ पुराण का पाठ कराने का चलन है। माना जाता है कि ऐसा करने से मरने वाले की आत्मा को सद्गति प्राप्त होती है।

गरुड़ पुराण में ये भी बताया गया है कि यदि मरते समय व्यक्ति के पास चार में से एक भी चीज हो तो जीवात्मा को पापों को भोगना नहीं पड़ता है।

तुलसी
तुलसी को सनातन धर्म में काफी पवित्र और पूज्यनीय माना गया है इसलिए कई लोग मरने वालों के मुँह में तुलसी का पत्ता रख देते हैं। गरुड़ पुराण के अनुसार मरने वालों के पास तुलसी का पौधा रख दिया जाए तो मृत्यु के पश्चात उसे यमराज के दंड से मुक्ति मिल जाती है।

गंगाजल
गंगाजल को भी मुक्ति दिलाने वाला कहा गया है। प्राण निकलने से पहले किसी के मुंह में गंगाजल और तुलसी दल डाल दिया जाए तो उसे यमराज के दंड नहीं भोगने पड़ते।

श्रीमद्भगवद्गीता
जब किसी की मृत्यु होने वाली हो तो उस समय श्रीमद्भगवद्गीता या कोई अन्य ग्रंथ पढ़ते हुए प्राण त्यागने से उसे यमराज द्वारा मिलने वाले दंड से छुटकारा मिल सकता है।

ईश्वर का नाम
यदि मरते समय व्यक्ति को सिर्फ प्रभु के नाम का ही स्मरण रहे, तो ऐसे व्यक्ति को यमराज के दंड का सामना नहीं करना पड़ता।

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