इंटरनेट डेस्क। दोस्तों आपको बता दे की आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन गुरु पूजा का विधान है। गुरु पूर्णिमा वर्षा ऋतु के आरम्भ में आती है।

इस दिन से चार महीने तक परिव्राजक साधु-सन्त एक ही स्थान पर रहकर ज्ञान की गंगा बहाते हैं। ये चार महीने मौसम की दृष्टि से भी सर्वश्रेष्ठ होते हैं। न अधिक गर्मी और न अधिक सर्दी। इसलिए अध्ययन के लिए उपयुक्त माने गए हैं।

दोस्तों आपको बता दे की इस साल गुरु पूर्णिमा जुलाई महीने की 27 तारीख को है इस दिन हर कोई अपने गुरु के प्रति मान सम्मान व्यक्त करते हैं और अपने गुरु को ख़ास तोहफे देकर उनके प्रति प्यार जताते हैं। दोस्तों आपको बता दे की प्राचीन काल की तो इस दौरान विद्यार्थी गुरु के आश्रम में नि:शुल्क शिक्षा ग्रहण करते थे। इसी श्रद्धा भाव से प्रेरित होकर शिष्य अपने गुरु की पूजा का आयोजन करते थे। यही वजह है कि गुरु पूर्णिमा को सबसे ख़ास माना जाता हैं।

दोस्तों आपको बता दे की लेकिन कभी आपने ये जानने कि कोशिश की आखिर गुरु पूर्णिमा वर्षा ऋतु में ही क्यों मनाई जाती है. अगर नहीं तो आज हम आपको बताएँगे कि आखिर ऐसा क्यों हैं। इस महीने में परिव्राजक और साधु-संत एक ही स्थान पर रहकर गुरु से ज्ञान की प्राप्ति करते हैं। ऐसा माना है कि मौसम के हिसाब से वर्षा ऋतु सबसे अनुकूल होती है इसलिए गुरुचरण में उपस्थित साधकों को ज्ञान, शांति, भक्ति और योग शक्ति प्राप्त करने की शक्ति मिलती है।

Related News