हिंदू पंचांग के मुताबिक, मार्गशीर्ष शुक्ल पक्ष की द्वादशी को पूरे देश में मत्स्य द्वादशी मनाई जाती है। बता दें कि इसी दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप धारण कर दानव हयग्रीव का वध कर वेदों की रक्षा की थी। तभी से इस तिथि पर श्रीहरि विष्णु के मत्स्यावतार की पूजा की जाती है।

मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु की कृपा से जातक को सभी सांसारिक और परलौकिक सुख प्राप्त होते हैं। विष्णु भक्तों का जीवन सुखमय बना रहता है। इस साल 19 दिसंबर, दिन बुधवार को मत्स्य द्वादशी की तिथि है।

बता दें कि भगवान विष्णु के कुल 12 अवतार में प्रथम अवतार मत्स्य अवतार है। मत्स्य द्वादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा-उपासना करने से वह अपने भक्तों के सभी मनोरथ सिद्ध करते हैं।

इसके लिए मत्स्य द्वादशी तिथि को सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करके श्री हरि विष्णु जी के नाम से उपवास रखकर पूजा व आराधना करनी चाहिए। विष्णु जी की पूजा करते समय ॐ मत्स्यरूपाय नमः मंत्र का जाप अवश्य करें। पुण्य फल की प्राप्ति के लिए मत्स्य द्वादशी के दिन जलाशय या नदियों में मछली को चारा डालना चाहिए।

मत्स्य अवतार की कथा
हिंदू धर्मशास्त्रों में वर्णित कथा के अनुसार, एक बार ब्रह्मा जी की असावधानी से ताकतवर राक्षस हयग्रीव ने वेदों को चुरा लिया, जिससे समस्त लोक में अज्ञानता रूपी अधंकार फैल गया। इसके बाद धर्म की रक्षा के लिए भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार धारण करके दानव हयग्रीव का वध किया तथा वेदों की रक्षा की। भगवान विष्णु ने समस्त वेदों को प्रजापिता ब्रह्मा जी को सौंप दिया।

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