मछली और दूध के कंबीनेशन को बैरी या जहर की तरह माना जाता हैं लेकिन क्या हमारे लिए सच में इन दोनों का एक साथ सेवन ज़हर है या फिर सिर्फ मिथ है। दूध और मछली दोनों पोष्टिक तत्वों से भरपूर है। दूध में भरपूर मात्रा में कैल्शियम, प्रोटीन, आयोडीन पौटैशियम, फॉस्फोरस और विटामिन डी पाए जाते हैं, वहीं मछली में भरपूर मात्रा में प्रोटीन, कई तरह के विटामिन, ओमेगा 3 फैटी एसिड आदि पाया जाता हैं।

क्या कहते हैं वैज्ञानिक

वैज्ञानिक रूप से अब तक सिर्फ इतना कहा गया है कि अगर दोनों में से किसी एक चीज से भी एलर्जी है तो मछली और दूध का सेवन एक साथ नहीं करें। इसके अलावा कोई अलग से ऐसी स्टडी नहीं आई है जिसमें कहा जाए कि दोनो के एक साथ सेवन करने का शरीर पर विपरीत असर पड़ता है। अगर दोनों में मौजूद तत्व को देखें तो दोनों में समृद्ध पोष्टिक तत्व पाए जाते हैं। विदेश के कई देशों में बीमार व्यक्ति की जल्दी रिकवरी के लिए दोनों का सेवन एक साथ करने की भी प्रथा है। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर मछली को सही तरीके से नहीं पकाया जाए या लैक्टोज को ग्रहण करने में शरीर को दिक्कत होती है तो दोनों का एक साथ सेवन करने से शरीर पर बुरा असर पड़ सकता है लेकिन इससे ज़हर नहीं बनता।

क्या कहता है आयुर्वेद

आयुर्वेद में दूध और मछली का एक साथ सेवन पूरी तरह से वर्जित है। इसके कई कारण है। पहला तो आयुर्वेद में नन वैजेटेरियन चीजों से किसी चीज का इलाज नहीं किया जाता। दूसरा मछली और दूध दोनों दो अलग-अलग तरह के डाइट स्टाइल हैं। इस कारण आयुर्वेदिक फिलोसफी के अनुसार दोनों का विपरीत असर शरीर पर पड़ता है। दूसरा आयुर्वेद के अनुसार दूध का कूलिंग इफेक्ट है जबकि मछली का हीटिंग इफेक्ट। इसलिए दोनों का कंबीनेशन असंतुलन पैदा करता है जिससे शरीर में कई तरह के रासायनिक परिवर्तन हो सकते हैं।

Related News