कंनूर केरल में रहने वाली फ़ातिमा शहबा ने बहुत ख़ूबसूरती के साथ अल्लाह के पाक क़ुरआन को अपने हाथों से लिखा हैं। क़ुरआन को मुकम्मल करने में फ़ातिमा को एक साल 2 महीने लगें। माशा अल्लाह बेहद ख़ूबसूरत
अल्लाह फ़ातिमा को ख़ुश रखें।

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रमजान के पाक महीने में 200 साल पुराने कुरान शरीफ का दीदार करने दूर-दूर से लोग आते हैं. दुनिया में तीन जगह और देश में दो जगह पर मौजूद यह कुरान शरीफ 1158 पेज की है. पहला संस्करण ब्रिटिश संग्रहालय में दूसरा अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की लाइब्रेरी में और तीसरी गया के राम सागर स्थित चिस्तिया मोनामिया खानकाह में है. दो तरजुमा (अनुवाद) और दो तफसीर वाली कुरान पहली बार 1882 में छपी थी जिसका अरबी से फारसी में अनुवाद हजरत शाह मोहड्डिस देहलवी ने किया था.


खानकाह के सज्जादा नशी हजरत मौलाना सबहुद्दीन मोनामी बताते है कि 200 साल पुरानी कुरान शरीफ के गया के रामसागर मोहल्ला स्थित खानकाह चिस्तिया मोनामिया में सुरक्षित है, सुरक्षा की दृष्टि से वर्षों पुरानी कुरान को आम लोग नहीं पढ़ सकते हैं, आम लोग इसका दर्शन कर सकते हैं, ज्यादा छूने से इसकी जिल्द अलग होने लगती है.

मौलाना कहते हैं कि 1158 पेज वाली यह कुरान उनके बुजुर्गों द्वारा यहां पहुंची है. बिस्मिल्लाह की लिखावट की खूबसूरती देखकर लगता है कि किताब सालों पुरानी है, ये खानकाह इतिहास सदियों पुराना है.

खानकाह के सज्जादा नशी हजरत मौलाना सबहुद्दीन मोनामी बताते है कि 200 साल पुरानी कुरान शरीफ के गया के रामसागर मोहल्ला स्थित खानकाह चिस्तिया मोनामिया में सुरक्षित है, सुरक्षा की दृष्टि से वर्षों पुरानी कुरान को आम लोग नहीं पढ़ सकते हैं, आम लोग इसका दर्शन कर सकते हैं, ज्यादा छूने से इसकी जिल्द अलग होने लगती है.

मौलाना कहते हैं कि 1158 पेज वाली यह कुरान उनके बुजुर्गों द्वारा यहां पहुंची है. बिस्मिल्लाह की लिखावट की खूबसूरती देखकर लगता है कि किताब सालों पुरानी है, ये खानकाह इतिहास सदियों पुराना है.

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