चैत्र नवरात्र यानी बासंतिक नवरात्र बुधवार से शुरू हो गया है। इसके साथ ही हिंदू नववर्ष भी शुरू हुआ। इस वर्ष चैत्र नवरात्र की नवमी दो अप्रैल को मनाई जाएगी। आपको बता दे पूजा के दौरान इन चीजों का जरूर ध्यान रखें और ध्यानमन से माता रानी का आराधना करें।


प्रात: काल का समय विशेष शुभ माना जाता है। प्रात: 5.58 से 09 बजे तक जो लोग कलश स्थापन न कर सकें, उनके लिए अभिजीत मुहूर्त सुबह 11.36 से 12.25 तक शुभ रहेगा। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि 25 मार्च को दिन में 3.51 बजे तक रहेगी। इस समय तक कलश स्थापन अवश्य कर लेना चाहिए।

शास्त्र अनुसार महानिशा पूजा सप्तमी युक्त अष्टमी या मध्य रात्रि में निशीथ व्यापिनी अष्टमी में होनी चाहिए, जो 31 मार्च-1 अप्रैल की रात मिलेगी। महानिशा पूजन इसी दिन किया जाएगा। महाअष्टमी व्रत एक अप्रैल को किया जाएगा। चैत्र शुक्ल नवमी दो अप्रैल को मध्याह्न में व्याप्त होने से उसी तिथि को श्रीरामनवमी मनाई जाएगी।

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि में प्रात: नित्य कर्मादि-स्नादि कर संकल्पित हो ब्रह्मा जी का आह्वान करना चाहिए। आगमन, पाद्य, अर्घ्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, यज्ञोपवीत, गंध, अक्षत-पुष्प, धूप-दीप, नैवेद्य-तांबूल, नमस्कार-पुष्पांजलि एवं प्रार्थना आदि उपचारों से पूजन करना चाहिए

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