उत्तराखंड के केदारनाथ धाम में पीएम मोदी ने जगद्गुरु शंकराचार्य की भव्य प्रतिमा का अनावरण किया। लेकिन क्या आप जानते हैं कि दक्षिण से हिमालय की ओर चलकर एक बार फिर भारतीय सभ्यता में भक्ति में प्राण फूंकने वाले आदि गुरु की यह प्रतिमा किसने बनाई थी? जवाब है मूर्तिकार अरुण योगीराज। उन्होंने 12 फुट की इस पत्थर की मूर्ति को मैसूर के सरस्वतीपुरम में बनवाया है। योगीराज बताते हैं कि उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि वे मूर्तियाँ बनाने के लिए औजार उठाएँगे, लेकिन अब उन्होंने जो मूर्तियाँ बनाई हैं, वे भारतीय कला को पूरी दुनिया में मशहूर कर रही हैं।

उनका कहना है कि उनका सपना अपने पूर्वजों की तरह मूर्तिकार नहीं बनना था और 2008 में मैसूर विश्वविद्यालय से एमबीए की पढ़ाई करने के बाद एक निजी कंपनी में काम कर रहे थे। लेकिन, उनके दादा ने बचपन में ही भविष्यवाणी कर दी थी कि अरुण बड़े होकर उपकरण लेने के लिए तैयार होंगे। हाथ उठाओ और कलाकारों के इस परिवार का नाम ऊंचा करो। आखिरकार 37 साल बाद यह भविष्यवाणी सच हुई है। उन्होंने कहा कि पूरा काम पीएम मोदी की निगरानी में हो रहा है. जिसके लिए उन्होंने पहले 2 फुट का मॉडल तैयार किया था।



उन्होंने दक्षिण भारत में शंकराचार्य की अन्य मूर्तियों का दौरा किया और शोध किया। उन्होंने आदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित मठों और अन्य धार्मिक स्थलों के विद्वानों के साथ भी इस पर चर्चा की। हालांकि पीएमओ ने उन्हें बता दिया है कि मूर्ति कैसी होनी चाहिए, लेकिन वह शोध-वार संशोधन करने के लिए स्वतंत्र थे। बता दें कि यह प्रतिमा काले क्लोराइट शिष्ट की 'कृष्ण शिला' से बनाई गई है, जिसका इस्तेमाल हजारों सालों से किया जा रहा है, जो प्रकृति का भीषण कहर सहने में भी सक्षम है। 37 वर्षीय अरुण योगीराज ने 9 महीने तक हर दिन 14-15 घंटे काम किया, जो अब सार्थक हो गया है।

Related News