नये साल का स्वागत करने के बाद शहर फिर से त्योहारों के रंग में रंगने को तैयार है। जयपुर की गलियां और आसमान दोनों पतंगों के साथ मिठाई की खुशबु से महक रहे है। आपको बता दे कि इस त्यौहार को मनाने की मान्यता यह मानी जाती है कि इस दिन सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है और इस दिन सूर्य दक्षणायन से उत्तरायण होते है और उत्तरायण को देवताओ का दिन माना जाता है इसलिए इस दिन तीर्थ में स्नान करना बहुत शुभ होता है। इस दिन मुख्य रूप से खाने में फेणी , गाजर का हलवा, टिल के लड्डू बनाए जाते है।


इसके साथ ही कहा जाता है कि सर्दियों में सूर्य की किरण हमारे शरीर में दवा के रूप में काम करती है। धुप में पतंग उड़ाते समय शरीर पर लगातार सूर्य की किरणें पड़ती है जिससे ज्यादातर संक्रमण और शरीर के आंतरिक रोगों को खत्म कर शरीर में नई ऊर्जा का संचार करती है। हमें नेगेटिव वाइव्स से पॉजिटिव वाइव्स की ओर ले जाती है। मकर सक्रांति के इस पर्व को सबसे पहले गुजरात में 1989 में मनाया गया जिसके बाद अब पुरे देश में बड़े धूम धाम उत्साह के साथ मनाया जाता है।

जयपुर में रामबाग पैलेस में स्थित पोलो ग्राउंड में काइट कॉम्पिटिशन फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है। जिसमे देश - विदेश से लोग यहां पहुंचते हैं और स्वादिष्ट व्यंजन जलेबी , फेणी , गाजर का हलवा टिल के लड्डू के साथ अलग-अलग आकार की पतंगों को उड़ाने का लुत्फ उठाते है।

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