Utility News क्या सरकारों द्वारा मुफ्त लैपटॉप और मोबाइल का वितरण आम आदमी को भी प्रभावित करता है? आइए जानते हैं इसका जवाब
चुनाव से पहले यदि आपकी राज्य सरकार आप पर मेहरबान है तो आपको चिंता करनी चाहिए। आपको मुफ्त लैपटॉप, मोबाइल और सस्ते पेट्रोल का तोहफा दिया जा रहा है, इसका बिल भी आपके नाम पर फटने वाला है। राज्य सरकारें कर्ज लेकर आपको लुभाने में लगी हैं। राज्य सरकारों को ऋण की ब्याज दर 11 महीने के उच्च स्तर पर है। यह उछाल कर्ज की बढ़ती मांग और निवेशकों की कमी के कारण आया है। पिछले हफ्ते कुल 16 राज्यों ने 24234 करोड़ रुपये से ज्यादा जुटाए हैं।चालू वित्त वर्ष 2021-22 में अब तक राज्यों ने एसडीएल यानी स्टेट डेवलपमेंट लेंडिंग के जरिए कुल 4.66 लाख करोड़ रुपये का कर्ज जुटाया है।
आपकी जानकारी के लिए बता दे की, महाराष्ट्र, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और राजस्थान जैसे बड़े राज्यों ने सबसे ज्यादा कर्ज लिया है। बहुत संभव है कि आपका होम लोन इससे कम रेट पर चल रहा हो। मतलब आपकी राज्य सरकारों की आर्थिक स्थिति आपसे भी खराब है। निर्धारित समय के बाद इन ऋणों को ब्याज सहित राज्य सरकारों को चुकाना होता है और उनकी आय का मुख्य स्रोत कर है। यदि आने वाले दिनों में टोल या बिजली पर और पैसे वसूले जाने लगे और पानी के बिल बढ़ने लगें तो परेशान न हों.
बता दे की, बस का सफर या घर का रजिस्ट्रेशन महंगा हो जाए। पेट्रोल, डीजल और शराब के बाद ये वो चीजें हैं जिन पर राज्य सरकारें टैक्स की मार चलाती हैं. इसलिए सावधान रहें क्योंकि महंगाई बढ़ने वाली है। सरकार दो तरह से कर्ज लेती है, आंतरिक और बाहरी। सरल शब्दों में कहें तो आंतरिक कर्ज जो देश के अंदर से लिया जाता है और बाहरी कर्ज जो देश के बाहर से लिया जाता है। आंतरिक ऋण बैंकों, बीमा कंपनियों, आरबीआई, कॉर्पोरेट कंपनियों, म्यूचुअल फंड आदि से लिए जाते हैं।
बाहरी ऋण मित्र देशों, आईएफएम विश्व बैंक, एनआरआई आदि संस्थानों से लिए जाते हैं। विदेशी ऋण में वृद्धि को अच्छा नहीं माना जाता है क्योंकि सरकार को इसके लिए अमेरिकी डॉलर या अन्य विदेशी मुद्रा में भुगतान करना पड़ता है।