अक्टूबर शुरु होने के साथ ही देश में त्यौहारों का सीजन शुरु हो गया हैं, नवरात्रि, दशहरा, शरद पूर्णिमा, कराव चौथ, दिवाली आदि इसी महीने में हैं। अगर हम बात करें दिवाली की तो यह हिंदुओं का सबसे बड़ा त्यौहार हैं, जो बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक हैं, इस बार दिवाली का त्यौहार 29 अक्टूबर से शुरू होने वाला हैं और 31 अक्टूबर या 1 नवंबर को दिवाली के हर्षोल्लास मनाया जाएगा। पूरे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाई जाने वाली दिवाली, समृद्ध परंपराओं, धार्मिक मान्यताओं और रीति-रिवाजों से भरा समय है।

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दिवाली के दौरान सबसे महत्वपूर्ण अनुष्ठानों में से एक माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा है। यह पूजा आमतौर पर दिवाली से ठीक दो दिन पहले धनतेरस से शुरू होती है, जब भक्त इन देवताओं की मूर्तियों को अपने घरों में लाते हैं, अगर आप भी मूर्तियां खरीदने जा रहे हैं, तो इन बातों का रखें ध्यान, जानिए पूरी डिटेल्स

1. अलग-अलग मूर्तियाँ

देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्तियाँ एक साथ जुड़ी हुई न हों। वे अलग-अलग आकृतियाँ होनी चाहिए, भले ही उनकी पूजा एक साथ की जाती हो।

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2. मूर्तियों की मुद्रा

ऐसी मूर्तियाँ चुनें जो दोनों देवताओं को बैठी हुई मुद्रा में दर्शाती हों। खड़ी स्थिति वाली मूर्तियाँ न खरीदें।

3. लक्ष्मी की मूर्ति की विशेषताएँ

देवी लक्ष्मी की मूर्ति कमल के फूल पर बैठी होनी चाहिए, एक हाथ में कमल पकड़े हुए और दूसरे हाथ से आशीर्वाद देते हुए। पैसे का बर्तन रखना भी शुभ होता है। मूर्ति के लिए गुलाबी रंग बेहतर होता है।

4. गणेश की मूर्ति की विशेषताएँ

भगवान गणेश के लिए, सुनिश्चित करें कि उनकी सूंड बाईं ओर हो। उन्हें मोदक पकड़े हुए दिखाया जाना चाहिए, उनके साथ उनका वाहन, एक चूहा भी मौजूद होना चाहिए।

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5. मूर्तियों की सामग्री

मिट्टी से बनी मूर्तियाँ चुनें, क्योंकि उन्हें शुभ माना जाता है। सीमेंट या पीओपी से बनी मूर्तियाँ न खरीदें, जो आमतौर पर बाजार में मिलती हैं।

6. क्षति की जाँच करें

घर लाने से पहले हमेशा मूर्तियों का सावधानीपूर्वक निरीक्षण करें ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि वे किसी भी तरह से टूटी या क्षतिग्रस्त न हों।

7. कुछ खास मूर्तियों से बचें

ऐसी मूर्तियाँ खरीदने से बचें जिनमें देवी लक्ष्मी को उल्लू पर सवार दिखाया गया हो।

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