By Jitendra Jangid- दोस्तो आज तकनीक इतनी ज्यादा उन्नत हो गई हैं कि हमारे बहुत सारे काम उंगलियों पर ही हो जाते हैं। लेकिन इन सुविधाओं के साथ लोगो के साथ धोखादड़ी के मामले बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं, जिनको संबोधित करना बहुत ही आवश्यक हैं। इन समस्याओं को समझते हुए हाल ही में डिजिटल अरेस्ट स्कैम ने चर्चा का विषय बन गया हैं, यह खतरनाक नया धोखा तेजी से अनजान पीड़ितों को अपने जाल में फंसा रहा है, जिससे लोगों में जागरूकता की आवश्यकता बढ़ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात के अपने 115वें एपिसोड में इस मुद्दे को संबोधित किया, आइए जानते हैं इनके बारे में-

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डिजिटल गिरफ्तारी घोटाला क्या है?

मन की बात प्रसारण के दौरान, पीएम मोदी ने डिजिटल गिरफ्तारी घोटाले में धोखेबाजों द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली भ्रामक रणनीति पर प्रकाश डाला। ये अपराधी आमतौर पर पुलिस, सीबीआई या आरबीआई जैसे संगठनों के उच्च पदस्थ अधिकारियों के रूप में पेश आते हैं, अपने पीड़ितों को बरगलाने के लिए अधिकार का दिखावा करते हैं।

व्यक्तिगत जानकारी एकत्र करना:

धोखेबाज अक्सर अपने कॉल को अधिक विश्वसनीय बनाने के लिए अपने लक्ष्य के बारे में विस्तृत व्यक्तिगत जानकारी, जैसे हाल की यात्रा या पारिवारिक विवरण एकत्र करते हैं।

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डर पैदा करना:

वे कानूनी कार्रवाई या गिरफ़्तारी की धमकियों के ज़रिए पीड़ितों में डर पैदा करते हैं, डराने वाला माहौल बनाने के लिए नकली वर्दी और सेटअप का इस्तेमाल करते हैं।

समय का दबाव:

घोटाला करने वाले तुरंत फ़ैसला लेने की मांग करके मनोवैज्ञानिक दबाव डालते हैं, जिससे पीड़ित फँस जाते हैं और बेचैन हो जाते हैं।

डिजिटल गिरफ़्तारी का असर

इस घोटाले के शिकार सभी जनसांख्यिकी वर्ग के लोग हैं, जिनमें से कई लोग धोखेबाज़ों द्वारा लगाए गए तीव्र भय और दबाव के कारण काफ़ी पैसे खो देते हैं। पीएम मोदी ने इस बात पर ज़ोर दिया कि इस तरह की हेराफेरी से गंभीर वित्तीय परिणाम हो सकते हैं।

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खुद को कैसे सुरक्षित रखें

रोकें:

यदि आपको कोई संदिग्ध कॉल आती है, तो घबराएँ नहीं। थोड़ी देर रुकें और स्थिति का आकलन करें।

सोचें:

कॉल की वैधता का मूल्यांकन करें। याद रखें कि कोई भी विश्वसनीय एजेंसी इस तरह से फ़ोन कॉल के ज़रिए जाँच नहीं करती है।

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