कच्चे तेल में रूस-यूक्रेन युद्ध ने आग लगा दी है। तेल 100 डॉलर के ऊपर बना हुआ है। भारत का आयात बिल बढ़ रहा है। 2021-22 में तेल आयात बिल दोगुना होने की उम्मीद है। जनवरी में ही तेल आयात पर 11.6 अरब डॉलर खर्च किए गए थे। बता दें कि, तेल महंगा होगा तो आपकी जेब पर भी पड़ेगा असर रूस और यूक्रेन के बीच हुए युद्ध से भारत के खजाने का गणित भी बिगड़ता नजर आ रहा है. मामला कच्चे तेल से जुड़ा है। कच्चा तेल पहले ही चढ़ रहा है। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद अब स्थिति और खराब हो गई है. कच्चा तेल 100 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गया है।

तेल की आपूर्ति को लेकर भी बड़ी समस्या उत्पन्न होती दिख रही है. अब हमारे यानी भारत के लिए समस्या यह है कि देश पूरी तरह से तेल के आयात पर निर्भर है। कच्चे तेल की ऊंची कीमतें देश के आयात बिल का तेल निकालने जा रही हैं. इस साल देश का कच्चे तेल का आयात बिल पिछले साल की तुलना में दोगुना हो सकता है। सरकार को कच्चे तेल के आयात पर 100 अरब डॉलर से अधिक का भुगतान करना पड़ सकता है। पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल के डेटा से पता चलता है कि चालू वित्त वर्ष के पहले 10 महीनों यानी अप्रैल से जनवरी के दौरान भारत ने कच्चे तेल के आयात पर 94.3 अरब डॉलर खर्च किए हैं.

जनवरी में तेल आयात पर 11.6 अरब डॉलर खर्च किए गए हैं। आगामी दिनों में कच्चा तेल 110-115 डॉलर तक जा सकता है. आयात बिल राजकोष पर भारी पड़ने वाला है। तेल की महंगाई भी आम लोगों की जेब पर भारी पड़ने वाली है. पिछले कुछ समय से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में कोई बढ़ोतरी नहीं की गई है।

पेट्रोलियम कंपनियां इस नुकसान को ज्यादा दिनों तक बर्दाश्त नहीं कर पाएंगी और उन्हें ईंधन के दाम बढ़ाने पड़ेंगे। यानी देश का इंपोर्ट बिल बढ़ने के साथ ही आपकी जेब से तेल भी निकलने वाला है.

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