Corona Vaccine News : न लगाएं कोरोना की दो अलग-अलग वैक्सीन, एक्सपर्ट्स कर रहे अलर्ट
दुनियाभर में इस बात पर बहस हो रही है कि कोरोना वायरस के लिए निर्मित टीकों के अलग-अलग डोज दिए जा सकते हैं? टीकों के दो डोज के बीच कितने दिनों का अंतराल होना चाहिए? इन्हीं सवालों के बीच सबसे महत्वपूर्ण एक प्रश्न यह उभर रहा है कि क्या कोवैक्सीन या कोवीशील्ड का पहला डोज देने के बाद दूसरा डोज फाइजर या मॉडर्ना की वैक्सीन का दिया जाए क्योंकि इन कंपनियों की वैक्सीन कोवैक्सीन और कोवीशील्ड से ज्यादा प्रभावकारी हैं?
पहली बार इन सवालों का जवाब सामने आया है। अमेरिका की नियामकीय संस्था खाद्य एवं औषधि प्रशासन (Food and Drugs Administration यानी FDA) ने इस सवालों के बिल्कुल साफ-सुथरे जवाब में दोटूक कहा कि नहीं। फाइजर-बायोएनटेक (Pfizer-BioNTech) और मॉडर्ना वैक्सीन (Moderna Vaccine) देश में लगाए जा रहे हैं। दोनों टीकों ने व्यस्कों में कोरोना वायरस से संक्रमण के खिलाफ करीब 95% प्रतिरोधक क्षमता पैदा कर दी है।
एक्सपर्ट की सलाह- वैक्सीन को मिक्स नहीं करें
फाइजर-बायोएनटेक वैक्सीन के दो डोज के लिए 21 दिनों का अंतराल तय किया गया है जबकि मॉडर्ना के लिए 28 दिनों का। सार्वजनिक स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में भी कोविड वैक्सीन पर यही नियम अपनाए जाएंगे। यहां अगले 9 दिनों में टीकाकरण शुरू हो सकता है। भारतीय आर्युविज्ञान अनुंसधान परिषद (ICMR) में वैज्ञानिक और अखिल भारतीय आर्युविज्ञान संस्थान (AIIMS) के पूर्व डॉ. एनके मेहरा ने जोर देकर कहा, "आप वैक्सीन को मिक्स नहीं कर सकते और कोरोना वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता पैदा करने के लिए वैक्सीन का दूसरा डोज बहुत जरूरी है।" उन्होंने कहा कि दो अलग-अलग वैक्सीन को मिलाने का क्या असर हो सकता है, इस पर रिसर्च नहीं हुआ है, इसलिए एक डोज किसी वैक्सीन का दूसरा डोज किसी दूसरे वैक्सीन का देने की सलाह नहीं दी जा सकती है।
क्या कोवैक्सीन या कोवीशील्ड लगाने के बाद लगा पाएंगे दूसरी वैक्सीन?
भारत में देश का अपना कोवैक्सीन (Covaxin) और ऑक्सफर्ड यूनिवर्सिटी एवं एस्ट्रेजेनेका की ओर से विकसित कोवीशील्ड (Covishield) को सीमित आपातकालीन उपयोग की मंजूरी मिल गई है। भारत बायोटेक और आईसीएमआर की तरफ से विकसित कोवैक्सीन ऐंटीबॉडीज बनाने में रोग प्रतिरोधक तंत्र (Immune System) को ताकत देने में मृत कोरोना वायरस का इस्तेमाल करता है। वहीं, कोवीशील्ड चिंपांजी एडीनोवायरस के कमोजर वर्जन के इस्तेमाल से कोरोना वायरस स्पाइक प्रोटीन के जीन को नष्ट कर देती है। कोरोना वायरस इंसानों की सेल में घुसने के लिए इसी स्पाइक प्रोटीन के जीन का ही इस्तेमाल करता है। एडीनोवायरस को मोडिफाइ कर दिया जाता है ताकि यह अपना दूसरा रूप नहीं बना सके लेकिन सेल्स स्पाइक प्रोटीन के जीन पहचान लें। इससे इम्यून सिस्टम प्रतिक्रिया करता है और कोविड के खिलाफ ऐंटीबॉडीज विकसित हो जाते हैं। दोनों वैक्सीन, कोवैक्सीन और कोवीशील्ड के दो-दो डोज दिए जाएंगे।