Check Bounce Tips- क्या चेक बाउंस के कारण लग गया है चार्ज, तो तुरंत करें ये काम, वापस आ जाएंगे पैसे
दोस्तो आज की डिजीटल युक्त दुनिया में स्मार्टफोन में मौजूद UPI ऐप ने लेन देन को बहुत ही आसान बना दिया हैं, लेकिन आज भी लोग चेक को ही सबसे विश्वसनिय तरीका मानते हैं, ऐसे में कई बार पैसों की कमी की वजह से चेक बांउस हो जाता हैं, जो कि एक गंभीर मामला है जिसके कानूनी निहितार्थ हैं। अगर आप खुद को चेक बाउंस होने की समस्या में पाते हैं, तो यह समझना बहुत ज़रूरी है कि आपको क्या कदम उठाने चाहिए और इसके कानूनी परिणाम क्या होंगे। आइए जानते हैं इसके बारे में-
1. चेक बाउंस होने के बाद शुरुआती कदम
जब चेक बाउंस होता है, तो पहला कदम जारीकर्ता को कानूनी नोटिस भेजना होता है। यह नोटिस चेक बाउंस होने के एक महीने के भीतर भेजा जाना चाहिए।
2. चेक बाउंस के लिए कानूनी कार्रवाई
सिविल कोर्ट कार्रवाई
अगर जारीकर्ता 15 दिनों की अवधि के भीतर जवाब देने में विफल रहता है या भुगतान करने से इनकार करता है, तो आप नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 की धारा 138 के तहत सिविल कोर्ट में मामला दर्ज कर सकते हैं।
संभावित दंड: जारीकर्ता को 2 साल तक की कैद या चेक की राशि से दोगुनी तक का जुर्माना हो सकता है।
प्रारंभिक राहत: आप न्यायालय से अनुरोध कर सकते हैं कि मामला चलने के दौरान चेक राशि का प्रारंभिक भाग (आमतौर पर 20-30%) सुरक्षित किया जाए।
परिणाम: यदि न्यायालय आपके पक्ष में निर्णय देता है, तो आपको चेक राशि और दी गई कोई भी प्रारंभिक राहत प्राप्त होगी। यदि आप हार जाते हैं, तो प्राप्त की गई प्रारंभिक राशि ब्याज सहित वापस करनी होगी।
आपराधिक मामला
आप भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420 के तहत आपराधिक मामला दर्ज कर सकते हैं। इसके लिए यह साबित करना आवश्यक है कि जारीकर्ता का इरादा बेईमानी का था।
दंड: दोषसिद्धि के परिणामस्वरूप 7 वर्ष तक की जेल और जुर्माना हो सकता है।
3. चेक बाउंस के फैसले के खिलाफ अपील करना
चेक बाउंस के मामले जमानती अपराध हैं, जिसका अर्थ है कि दोषी व्यक्ति अपील कर सकता है। यदि दोषी पाया जाता है, तो वे अपील प्रक्रिया के दौरान सजा के निलंबन के लिए आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 389(3) के तहत ट्रायल कोर्ट में आवेदन कर सकते हैं।