आचार्य चाणक्य ने नीति शास्त्र में मनुष्य के जीवन को श्रेष्ठ बनाने के लिए कई बातों का उल्लेख किया है,इन बातों का पालन करके व्यक्ति मुश्किल समय को आसानी से पार कर सकता है और नीति शास्त्र में कुछ ऐसी बातों का जिक्र भी किया है जो व्यक्ति के जीवन से दुख और कष्टों को दूर करती हैं


सुख-दुख का आना-जाना जीवन का हिस्सा है, लेकिन कुछ परिस्थितियां व्यक्ति के जीवन को नरक बना सकती हैं,आचार्य चाणक्य के अनुसार कुछ परिस्थितियां ऐसी होती हैं, जो किसी भी व्यक्ति को घुटन भरा जीवन जीने पर मजबूर कर सकती हैं।
इन परिस्थितियों को आचार्य चाणक्य ने अपने एक श्लोक के जरिए बताया है, जिन्हें झेलने के दौरान व्यक्ति पूरी तरह से टूट जाता है,आइये जाने उन परिस्थितियों के बारे में
चाणक्य कहते हैं कि कान्ता वियोगः स्वजनापमानः ऋणस्य शेषं कुनृपस्य सेवा, दारिद्र्य भावाद्विमुखं च मित्रं विनाग्निना पञ्च दहन्ति कायम्. यहां हम आपको इसका मतलब समझाते हुए इन स्थितियों के बारे में बताने जा रहे हैं,आइये जाने
अपनों से बेइज्जत होना एक सजा है, जिसे प्रभावित व्यक्ति चाहकर भी नहीं भूल पाता है, ऐसे में जिन लोगों को अपने ही परिवार में बेइज्जत होना पड़ता है, उनके लिए जीवन एक समय पर बोझ बन जाता है, ये स्थिति भी जीवन में घुटन का माहौल बना सकती है।


व्यक्ति को किन्हीं कारणों से कर्ज लेना पड़ जाए ये सामान्य है, लेकिन अगर इसे चुकाने में दिक्कत होने लगे, तो भी जीवन में घुटन भरा माहौल बन सकता है,व्यक्ति कर्ज न उतार पाए, तो ये परिस्थिति उसके लिए जीना दूरभर कर देती है।
चाणक्य कहते हैं कि अगर जीवन में किसी पति का अपनी पत्नी के साथ संबंध ठीक न हो, तो समस्याएं पैदा होने लगती हैं,एक पत्नी अपने पति का हर सुख और दुख में साथ देती है, लेकिन नाराजगी के चलते वह उसका साथ न दे, तो ये परिस्थिति घुटन भरा माहौल पैदा कर सकती है।


चाणक्य नीति कहती है कि गरीबी के चलते जीवन में सुख नहीं मिल पाता है,इसकी वजह से मन हर समय दुखी रहता है और हो सकता है कि व्यक्ति इससे छुटकारा पाने के लिए गलत काम भी करने लगे,आचार्य चाणक्य गरीबी को एक अभिशाप मानते हैं।

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