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केंद्र सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों के लिए रिवाइज्ड परफॉरमेंस-लिंक्ड इंसेंटिव(पीएलआई) योजना शुरू की है, जिसमें परिसंपत्तियों पर रिटर्न और एनपीए के स्तर जैसे पैरामीटर शामिल हैं।

इस योजना के लिए बैंकों की पात्रता का मूल्यांकन सरकार द्वारा नियुक्त समिति द्वारा चार मापदंडों के आधार पर किया जाएगा, जिसमें यह भी शामिल है कि असेस्ट पर रिटर्न (आरओए) सकारात्मक होना चाहिए और नेट नॉन परफार्मिंग असेस्ट्स (एनपीए) कम होनी चाहिए।

वित्त मंत्रालय ने एक परिपत्र में कहा कि इस योजना का उद्देश्य विभिन्न हितधारकों के लिए महत्वपूर्ण मूल्य सृजन के लिए कर्मचारियों को उचित रूप से पुरस्कृत और प्रेरित करना है। यह वित्तीय वर्ष 2023-24 से प्रभावी होगा।

वित्तीय सेवा विभाग (डीएफएस) सचिव की अध्यक्षता वाली समिति में अतिरिक्त सचिव (डीएफएस), संयुक्त सचिव (बैंकिंग) और भारतीय बैंक संघ (आईबीए) के मुख्य कार्यकारी सदस्य होंगे। संचार के अनुसार, पैनल PLI evaluation पीरियड के लिए बैंकों में शासन तंत्र का मूल्यांकन करेगा, जिसमें उल्लंघन, कदाचार या बैंक की विश्वसनीयता और प्रतिष्ठा को गंभीर रूप से प्रभावित करने वाले किसी भी बड़े/गंभीर मामले की घटनाओं के संबंध में होगा।

समिति ने कहा, "समिति मूल्यांकन के बाद उन बैंकों की सूची बनाएगी जो पीएलआई योजना के तहत विचार किए जाने के योग्य होंगे। समिति पीएलआई योजना के लिए अधिकारियों की पात्रता पर भी निर्णय ले सकती है।"

परिपत्र के अनुसार, राष्ट्रीयकृत बैंकों के ईडी और एमडी तथा एसबीआई के डीएमडी, एमडी और चेयरमैन के लिए पीएलआई वार्षिक मूल वेतन का 100 प्रतिशत तक हो सकता है। इसमें बैंकों के लिए पीएलआई योजना संचालित करने के लिए पात्र होने के लिए सकारात्मक आरओए सहित 4 मानदंड भी निर्दिष्ट किए गए हैं। बैंकों को 4 मानदंडों में से कम से कम तीन को पूरा करना होगा। परिपत्र पीएलआई से संबंधित अगस्त 2018 के मानदंडों को संशोधित करता है।

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