श्रीरामचरितमानस में एक महत्वपूर्ण प्रसंग तब पढ़ने को मिलता है, जब भगवान श्रीराम वनवास के दिनों में देवी सीता और लक्ष्मण के सा​थ चित्रकूट में एक कुटिया बनाकर रहने लगे थे। अयोध्या में राजा दशरथ की मौत हो चुकी थी, उनका अंतिम संस्कार और क्रियाकर्म करने के बाद भरत अपने बड़े भाई श्रीराम को अयोध्या वापस लाने के लिए गुरू वशिष्ट, राजमाताओं, अयोध्या की जनता तथा पूरी सेना के साथ चित्रकूट पहुंचते हैं।

भरत जब चित्रकूट राम कुटिया के पहुंचते हैं, तो वह एक अद्भुत दृश्य देखते ही रह जाते हैं। भरत देखते हैं कि आश्रम में कई संत एकत्र होकर श्रीराम के साथ ज्ञान, गुण और धर्म की चर्चा कर रहे हैं। लक्ष्मण और सीता भी इस आध्यात्मिक चर्चा को गंभीरता से सुन रहे हैं। इसके बाद राम से भरत की मुलाकात होती है तथा आगे की घटना घटित होती है।

बता दें कि जिस श्रीराम को राजमहल से निकालकर वन भेज दिया गया हो, राजतिलक की घोषणा करके संन्यासी बना दिया गया हो, फिर भी शांत मन से संतों और विद्वानों के साथ बैठकर ज्ञान, गुण और धर्म की चर्चा करने का यह प्रसंग एक साधारण सी घटना लग सकती है। लेकिन इसके पीछे बहुत गंभीर और उपयोगी संदेश छुपा हुआ है।

अक्सर परिवारों में यह देखने को मिलता है कि जब घर के सदस्य एक साथ बैठते हैं, तो उनमें पैसे, जायदाद, निंदा आदि को लेकर झगड़े शुरू हो जाते हैं। इससे परिवार में असंतुलन पैदा होता है। इसलिए हम सभी जब भी परिवार के साथ बैठें, तो चर्चा का विषय ज्ञान, गुण, धर्म और भक्ति होना चाहिए। ऐसा करने से परिवार में कभी विवाद की स्थिति नहीं आएगी तथा परिवारिक सदस्यों में प्रेम बढ़ेगा।

Related News