इस खास रिस्ते की वजह से कर्ण का अंतिम संस्कार भगवान् कृष्ण ने क्यों किया था!
आजतक के इतिहास में महाभारत एक मात्र ऐसा युध्द रहा है जो बहुत ही भयानक और सबसे ज्यादा दिन तक चला, ये मात्र एक ऐसा युध्द था जिसमें हज़ारों लोगों की मृत्यु हुई, बात करे कौरवों की ओर से इस युध्द में कर्ण ने बहुत बड़ा योगदान दिया था। आखिर फिर एस अक्य हुआ कि पांडवों के दुश्मन को भगवान् कृष्ण ने अंतिम विदाई दी?
भगवान् कृष्ण जो की अर्जुन को अपना दोस्त भी मानते थे तो उसके दुश्मन का अंतिम संस्कार क्यों किया,दरअसल कर्ण सिर्फ कुंती का बेटा ही नहीं था बल्कि वो कृष्ण का भाई भी था,जी हाँ, फुफेरा भाई।
कुंती भगवान् कृष्ण की बुआ थी,कर्ण एक ऐसा पात्र था महाभारत में, जो देव पुत्र होने के बावजूद भी सामाजिक प्रताड़ना का सामना करना पड़ा और उसको. समाज में अस्वीकार किया गया, भगवान् कृष्ण जानते थे कि कर्ण एक महान योद्ध और दानी राजा था., कर्ण ने कुरुक्षेत्र में अपने भाइयों (पांडवो) को छोड़कर कौरवों का साथ दिया था, क्योंकि पांडव उसे अपने साथ नहीं लिए, भगवान्व कृष्ण को ये बात पता थी,वो कर्ण की महानता से वाकिफ थे, कुंती और सूर्य का पुत्र था कर्ण।
कुंती ने कर्ण को अविवाहित होते हुए जन्म दिया था, ये बात भगवान् कृष्ण जानते थे,भगवान् कृष्ण के कारण ही कर्ण की मौत हुई थी, भगवान कृष्ण ने ही अर्जुन को कर्ण के वध का तरीका बताया था, इसी तरीके से ही कर्ण का वध हुआ। एक दानवीर राजा होने के कारण भगवान कृष्ण ने कर्ण के अंतिम समय में उसकी परीक्षा ली और कर्ण से दान माँगा तब कर्ण ने दान में अपने सोने के दांत तोड़कर भगवान कृष्ण को अर्पण कर दिए। कर्ण की दानवीरता के खुश होकर भगवान् कृष्ण ने उसे अंतिम विदाई दी, इसलिए भगवान् कृष्ण ने कर्ण का अंतिम संस्कार किया।