प्राचीन समय से ही भवन के मुख्य दरवाजे के ऊपर तथा दरवाजे के दाएं और बाएं किसी ना किसी मांगलिक चिन्हों का प्रयोग किया जाता है, ऐसा माना जाता है कि मांगलिक चिन्हों का प्रयोग करने से घर स बुरे साये दूर रहते हैं,और साथ ही सुख, शांति, समृद्धि बनी रहती है।

स्वास्तिक: स्वास्तिक शब्द के विश्लेषण से इसका अर्थ स्वस्ति या क्षेम करने वाला होता है, इसे भगवान श्री गणेश का लिपिआत्म स्वरूप भी माना जाता है। स्वास्तिक की रचना दो रेखाओं से होती हैं, दोनों रेखाओं की मध्य में समकोण दशा में विभाजित करके उनके सिरों पर बाई ओर से दाएं और समकोण बनाते हुए आकार दिया जाता है,स्वास्तिक के चारों ओर के सिरों पर समकोण पर मुड़ी हुई रेखाएं अनंत मानी गई है। स्वास्तिक का बायां भाग भगवान श्री गणेश की शक्ति का स्थान बीज मंत्र होता है, इसकी चारों दिशाओं को एक सामान शुद्ध किया जाता है।

ॐ चिह्न : ओम शक्ति का प्रतीक माना जाता है,किसी भी मंत्र का उच्चारण करते समय सबसे पहले ॐ का प्रयोग किया जाता है, ॐ के चिन्ह को घर में लगाने या बनाने से कई दोषों का नाश होता है। दरवाजे और चौखट पर भी इसे अंकित करना चाहिए मुख्य द्वार पर इसे लगाने से आने वाले विपदा को ये दूर भगाता है और साथ ही परिवार में सुख, शांति बनाएं रखता है।

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