महाबली हनुमान जी को इस धरती पर अजर-अमर देवता माना गया है। ऐसा माना जाता है कि कलयुग में भी यह अपने भक्तों की पुकार अवश्य सुनते हैं। अगर कोई भक्त अपने सच्चे मन से हनुमान जी की पूजा अर्चना करता है तो यह बहुत जल्द प्रसन्न हो जाते हैं। हनुमान जी की पूजा करके और इनसे जुड़े हुए पाठ को पढ़कर कोई भी इनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है। ज्यादातर सभी लोग हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं। ऐसा माना जाता है कि हनुमान चालीसा के पाठ से व्यक्ति के जीवन की सारी परेशानियां दूर होती हैं। इसके अलावा अगर आप मंगलवार के दिन सुंदरकांड का पाठ करते हैं तो इसे पढ़ने से जीवन के सभी दुखों का निवारण होगा।

शास्त्रों के अनुसार देखा जाए तो सुंदरकांड का पाठ बेहद असरदार बताया गया है। अगर इसे सही तरीके से पढ़ा जाए तो हनुमान जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। आज हम आपको इस लेख के माध्यम से सुंदरकांड का पाठ कैसे करें और इसके नियम क्या है? इसके बारे में जानकारी देने जा रहे हैं।

ऐसे करें सुंदरकांड का पाठ


सुंदरकांड का पाठ करने से पहले आप स्नान करके साफ-सुथरे कपड़े धारण कर लीजिए।
हनुमान जी और श्री राम जी की फोटो या प्रतिमा पर पुष्प माला अर्पित करके दीप जलाएं।
और चने और लड्डू का भोग अर्पित कीजिए।
सुंदरकांड का पाठ शुरू करने से पहले श्री गणेश जी की पूजा कीजिए, फिर अपने गुरु की, पितरों की फिर, श्री राम की वंदना करके सुंदरकांड का आरंभ करें।
पाठ खत्म होने के बाद हनुमान जी की आरती कीजिये और श्री राम जी की भी आरती करना ना भूले।
जिन लोगों ने पाठ में भाग लिया है उनको आरती और प्रसाद दे।
सुंदरकांड का पाठ आरंभ करने से पहले हनुमान जी और राम चंद्र जी का आवाहन करना आवश्यक है। सुंदरकांड का पाठ समाप्त होने के पश्चात भगवान को भोग लगाकर आरती करके उनकी विदाई करें।
सुंदरकांड को लाल कपड़े में श्रद्धा पूर्वक लपेटकर पूजा स्थल पर रख दीजिए।



सुंदरकांड पाठ के नियम

मंगलवार के दिन कई लोग सुंदरकांड का पाठ करते हैं और कई लोग प्रतिदिन पाठ करते हैं। आप अपने हिसाब से यह पाठ कर सकते हैं।
यह पाठ शाम को पढ़ा जाता है इसलिए पाठ हमेशा शाम 7:00 बजे के पश्चात ही पड़ी पढ़िए।
विशेष फल की प्राप्ति के लिए आप मंगलवार या शनिवार के दिन से सुंदरकांड का पाठ शुरू कर सकते हैं।
सुंदरकांड का पाठ शुरू करने से पहले खुद को स्वच्छ रखें। कभी भी गंदे हाथों और पैरों से इस पाठ की किताब को स्पर्श मत कीजिए।
अगर आप सुंदरकांड का पाठ कर रहे हैं तो संपूर्ण सुंदरकांड के पाठ के दौरान एक अखंड दीपक जरूर प्रज्वलित करें।
सुंदरकांड का पाठ करते समय आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि सभी चौपाइयों का उच्चारण स्पष्ट और निर्दोष हो।
सुंदरकांड पाठ का प्रारंभ कर देने के पश्चात इसे पूरा करके ही उठें। बीच-बीच में पाठ रोकना ठीक नहीं माना जाता है।
सुंदरकांड पाठ के बीच में कुछ भी खाए-पिए नहीं।
सुंदरकांड का पाठ पूरा होने के बाद अब हनुमान चालीसा का पाठ करें।
गर्भवती महिलाओं को सुंदरकांड का पाठ नहीं करना चाहिए।

सुंदरकांड पाठ के लाभ
सुंदरकांड का पाठ बहुत ही शक्तिशाली माना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जहां पर सुंदरकांड का पाठ होता है वहां हनुमान जी किसी ना किसी रूप में पाठ सुनने अवश्य आ जाते हैं। यह लोगों ने साक्षात अनुभव भी किया है। सुंदरकांड का नियमित रूप से पाठ करने से जीवन की बहुत सी परेशानियां दूर हो जाती हैं और हनुमान जी की कृपा से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। सुंदरकांड का पाठ करने से धन-संपत्ति, सुख-वैभव, मान-सम्मान आदि की प्राप्ति होती है। सुंदरकांड का पाठ लगातार करने से आर्थिक परेशानियां दूर हो जाती हैं। व्यापार संकट, नौकरी की परेशानी दूर हो जाती है।

Related News