अस्थमा के रोगी जरूर खाएं ये चीजें, अटैक से बचने के लिए ऐसा रखें अपना डाइट प्लान
अस्थमा एक ऐसी बीमारी है जो व्यक्ति को भीतर से घायल कर देती है। अस्थमा का दौरा व्यक्ति को अंदर से तोड़ देता है। कोरोना काल में अस्थमा के मरीजों को अपना ज्यादा ख्याल रखने की जरूरत है। कोरोना वायरस से पीड़ित लोगों में सांस की समस्या सामने आ रही है. इस वायरस का उन लोगों पर अधिक प्रभाव पड़ रहा है जो सांस की बीमारियों से पीड़ित हैं या जिन्हें अन्य गंभीर बीमारियां हैं। आपको बता दें कि अस्थमा एक पुरानी बीमारी है जिसके लिए लंबे समय तक इलाज की जरूरत होती है। अस्थमा के कारण सांस लेने में तकलीफ, सीने में दर्द, खांसी और घरघराहट होती है।
इस हमले का मुख्य कारण शरीर में मौजूद बलगम और संकुचित श्वासनली है लेकिन अस्थमा के दौरे के कई बाहरी कारण भी होते हैं, जो अचानक अस्थमा के दौरे का कारण बनते हैं। ऐसे में मरीजों को इनहेलर लेने को कहा जाता है। अस्थमा के रोगियों को भी स्वस्थ आहार का पालन करना चाहिए। आइए आपको बताते हैं कि अस्थमा के मरीजों का डाइट प्लान क्या होना चाहिए। विटामिन सी एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होता है, जो फेफड़ों की रक्षा और मजबूती में मदद करता है। जो लोग अधिक विटामिन सी का सेवन करते हैं उन्हें अस्थमा का दौरा पड़ने की संभावना कम होती है।
अस्थमा के मरीजों को अपने आहार में संतरा, ब्रोकली, कीवी को शामिल करना चाहिए।अस्थमा के मरीजों को शहद और चीनी का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए, लेकिन अस्थमा के मरीजों के लिए शहद और दालचीनी बहुत फायदेमंद होते हैं। दो से तीन चुटकी दालचीनी में एक चम्मच शहद मिलाकर रात को सोने से पहले नियमित रूप से लेने से फेफड़ों को आराम मिलता है। साथ ही फेफड़ों से संबंधित रोग भी दूर होते हैं। तुलसी को आयुर्वेदिक औषधि के रूप में जाना जाता है। तुलसी एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होती है। ऐसे में चाय में तुलसी के दो से तीन पत्ते मिलाकर पीने से अस्थमा के मरीजों में अटैक का खतरा कम हो सकता है।
तुलसी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है। तुलसी मौसमी बीमारियों जैसे फ्लू और सर्दी-खांसी से भी छुटकारा दिलाती है। विभिन्न प्रकार की दालें प्रोटीन का अच्छा स्रोत मानी जाती हैं। काले चने, मूंग दाल, सोयाबीन और कई अन्य दालें हैं जो स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होती हैं। ये दालें फेफड़ों को मजबूत करती हैं और उन्हें संक्रमण से बचाती हैं। ऐसे में अस्थमा के मरीजों को नियमित रूप से दाल का सेवन करना चाहिए। साथ ही दाल के सेवन से पाचन शक्ति भी मजबूत होती है।