अर्ध कुंभ : नागा साधु क्यों रखते है अपनी पहचान पीछा कर
प्रयागराज में चल रहे अर्ध कुंभ का मेला आज - कल काफी सुर्खियों में चल रहा है। इस मेले में लाखों - करोड़ो श्रद्धालु के शामिल होने की संभावना है।
इसके लिए प्रयागराज की सरकार ने ज़बरदस्त व्यवस्था की है। बता दे की कुंभ के इस मेले का समापन महाशिवरात्रि पर हो जाएगा।
कुंभ के इस मेले में नागा साधु सबसे लोकप्रिय आकर्षक बने हुए है। आपको बता दे कि नागा साधुओं की दुनिया भी बड़ी ही रहस्यमयी होती है।
आज हम आपको इनके रहस्यमयी के बारे में बताने जा रहे है।
इनका रहना - खाना - पीना सब सामान्य नहीं होता है। कहा जाता है कि ये साधु दिन और रात मिलाकर सिर्फ एक समय ही भोजन करते है। लेकिन ये कोई नहीं जानता कि कुंभ के शुरू होते ही ये अचानक कहां से प्रकट हो जाते है और खत्म होने के बाद कहां गायब हो जाते है। इनके बारे में कहां जाता है कि
इन्हें भिक्षा मांग कर ही अपना पेट भरना होता है। नागा साधु को अधिक से अधिक सात घरों से भिक्षा लेने का अधिकार होता है , और अगर इन सात घरों से भिक्षा ना मिले तो भूखे पेट ही रहना पड़ता है। कहा जाता है कि ये साधु एक जगह पर ज्यादा दिन तक कभी नहीं रहते है। कुछ सालों तक एक गुफा में रहने के बाद वे दूसरी गुफा में चले जाते है। इस वजह से इनके गुप्त स्थानों का किसी को भी पता नहीं चल पाता है।
इनके वस्त्र की हम बात करे तो नागा साधु निर्वस्त्र ही रहते है। लेकिन कुछ नागा साधु ऐसे भी है जो वस्त्र धारण करते है। नागा साधु हमेशा जमीन पर ही सोते है इनके नियम के अनुसार ये चारपाई या किसी अन्य बिस्तर पर सोना मना होता है। इनके बारे में कहा जाता हिअ कि ये साधु हमेशा अपनी पहचान गुप्त रखते है। इन्हे अपनी पहचान सार्वजनिक करने का अधिकार नहीं है। नागा साधुओं के नियम बहुत कठोर होते है।
कहा जाता है कि नागा साधु भगवान शिव के भक्त होते है। इनके के पास रहस्यमयी ताकत होती है। ये ताकत वो कठोर तपस्या करके हासिल करते है।
इस कारण ये साधु अपने पूरे शरीर पर भभूत लपेटे हुए रहते है। इसके साथ ही ये जंगल में रह कर कंदमूल और जड़ी-बूटी के जरिये अपना पूरा जीवन व्यतीत कर लेते है।