रामायण हिन्दुओं के प्रमुख धार्मिक गंथ्रों में से एक है और इसमें कई ऐसे वाकयों और महावीरों का उल्लेख है जिन्हे लोगों ने देखा भले ही ना हो लेकिन उन्हें आज भी जानते हैं। आज हम आपको श्रीराम की सेना के एक ऐसे वीर योद्धा के बारे में बताने जा रहे हैं जिसकी ताकत को स्वयं रावण ने भी माना था। किष्किंधा के राजा बालि का पुत्र अंगद अत्यंत बलशाली था। बालि की मृत्यु के बाद सुग्रीव किष्किंधा का राजा और अंगद राजकुमार बना।

माना जाता है कि लंका को जीतने में अंगद ने मुख्य भूमिका निभाई। उन्हें हमेशा अपने कर्मों के कारण याद किया जाता रहा है। अंगद को रावण के दरबार में दूत बना कर भेजा गया। रावण और अंगद के बीच वार्तालाप इतना उग्र हो गयी कि अंगद ने दरबार के सभी लोगो को चुनौती दे डाली की जिस किसी मे भी हिम्मत है मेरा एक पैर हिलाकर देखा दें।

रावण के दरबार के सभी योद्धाओं ने अंगद का पैर हिलाने का प्रयास किया लेकिन कोई भी उनके पैर को हिला नहीं पाया। अंगद का पैर टस से मस नहीं हुआ। किसी को कुछ समझ मद नही आ रहा था कि एक वानर किसे इतना शक्तिशाली हो सकता है।

अंत में मेघनाथ ने भी प्रयास किया किंतु वो भी सफल नही हुआ। अंत में रावण खुद उसके पैर को हिलाने के लिए आगे बढ़ा तो अंगद ने कहा कि मेरे पैरों में गिर कर नहीं बल्कि श्रीराम के चरणों में गिरकर शर्मा मांगो। अंगद कूटनीति और राजनीति में भी बेहद पारंगत था।

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