ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया क्या है- ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया को नींद से संबंधित श्वास विकार भी कहा जाता है। सोते समय सांस रुक जाती है और बार-बार चलती है। रोग में नींद में व्यक्ति की सांस रुक जाती है और उसे पता भी नहीं चलता। नींद में सांस फूलने की यह समस्या कुछ सेकेंड से लेकर 1 मिनट तक रह सकती है। स्लीप एपनिया कई प्रकार के होते हैं, मगर इनमें से सबसे आम है ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया। जब सोने के दौरान गले की मांसपेशियां बहुत ज्यादा ढीली हो जाती हैं और हवा के प्रवाह में रुकावट पैदा करने लगती हैं। जिससे रोगी को तेज खर्राटे आते हैं, मगर खर्राटे लेने वाला प्रत्येक व्यक्ति इस रोग से ग्रसित नहीं होता है। इस रोग में श्वसन पथ के ऊपरी वायु मार्ग में रुकावट के कारण वायु का प्रवाह ठीक से नहीं हो पाता है। लंबे समय तक सांस लेने में रुकावट के कारण रक्त में ऑक्सीजन का स्तर कम होने लगता है और रोगी की जान भी चली जाती है।

स्लीप एपनिया के कारण- स्लीप एपनिया किसी को भी हो सकता है, मगर कुछ कारणों से इसका खतरा और भी बढ़ जाता है। आइए जानते हैं उनके बारे में-

मोटापा- ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया से पीड़ित ज्यादातर लोग अधिक वजन वाले होते हैं। श्वासनली के ऊपरी हिस्से में चर्बी जमा होने से सांस लेने में भी दिक्कत होने लगती है। मोटापे से संबंधित बीमारियां जैसे हाइपोथायरायड और पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम भी इस बीमारी का कारण बन सकते हैं।

वृद्धावस्था- 60 की उम्र के बाद स्लीप एपनिया होने की संभावना तेजी से बढ़ने लगती है।

संकीर्ण श्वासनली- हो सकता है कि बचपन से ही आपकी श्वासनली संकरी हो गई हो। या टॉन्सिल के बढ़ने के कारण आपकी श्वासनली का मार्ग बाधित हो गया है।

उच्च रक्तचाप और मधुमेह- उच्च रक्तचाप और मधुमेह की समस्या से पीड़ित लोगों में यह रोग अधिक देखा जा रहा है।

धूम्रपान करने वालों में स्लीप एपनिया का खतरा भी बढ़ जाता है। यदि परिवार में किसी को पहले स्लीप एपनिया हुआ है, तो आपको इसके होने की संभावना अधिक होती है। पुरुषों को महिलाओं की तुलना में स्लीप एपनिया होने का खतरा अधिक होता है। वहीं मेनोपॉज के बाद महिलाओं में यह समस्या देखने को मिल रही है।

अस्थमा- कई शोधों में अस्थमा रोग और ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के बीच संबंध भी पाया गया है।

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