भगवान शिव शेरों की खाल वाला वस्त्र क्यों धारण करते हैं, 99% लोग नहीं जानते होंगे
देवों के देव महादेव को भोलेनाथ के नाम से भी जाना जाता है। भगवान भोलेनाथ को देखा ही होगा तस्वीरो में वे हमेशा शेर की खाल को धारण किये हुए रहते है क्या आपने कभी सोचा है की भगवान भोलेनाथ शेर की खाल हमेशा क्यों धारण किये रहते है..
पौराणिक कथा के अनुसार वैशाख मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नृसिंह चतुर्दशी भी कहा जाता है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन श्री हरि विष्णु ने हिरण्याकश्यिप का वध करने के लिए नरसिंह अवतार धारण किया था नरसिंह अवतार में वे आधे नर और आधे सिंह के रूप में अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए किया था । पुराणों में उल्लेख है कि भगवान विष्णु, भगवान शिव को उस समय एक अनोखा उपहार देना चाहते थे।
हिरण्याकश्यप का पापो का घडा भर चुका था उन्होंने अपने भक्त को बचाने के लिए नरसिंह अवतार लिया और हिरण्याकश्यप का वध कर दिया उस समय नरसिंह अवतार लिए भगवान विष्णु बहुत क्रोध में थे। तब भोलेनाथ ने अपने अंश वीरभद्र को उत्पन्न कर वीरभद्र से कहा कि तुम जाकर विष्णु अवतार नृसिंह से निवेदन करो कि वह अपना क्रोध त्याग दे।
जब नृसिंह भगवान नहीं माने तब वीरभद्र ने शरभ रूप धारण किया। नृसिंह को वश में करने के लिए वीरभद्र ने गरुड़, सिंह और मनुष्य का मिश्रित रूप धारण किया और शरभ कहलाए। शरभ ने नृसिंह भगवान को अपने पंजे से उठा लिया और चोंच से वार करने लगे।
उनके वार से घायल होकर नृसिंह ने अपना शरीर त्यागने का निर्णय लिया और भगवान शिव से निवेदन किया कि, भगवान शिव अपने आसन के रूप नरसिंह की चर्म को स्वीकार करें। इसके बाद नृसिंह, भगवान विष्णु के शारीर में मिल गए और भगवान शिव ने इनके चर्म को अपना आसन बना लिया इसलिए भगवान भोलेनाथ बाघ की खाल पर विराजते हैं। तथ वह सदैव उनके पास रहती है।