भगवान श्रीकृष्ण को पूर्ण श्रद्धा एवं दृढ़ता से अपना सब कुछ मानने वाले वैष्णव भक्त अपने गले में तुलसी की माला पहनते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि श्रीकृष्ण के भक्त गले में तुलसी की ही माला क्यों पहनते हैं। जी हां, हिंदू धर्मशास्त्रों में कई जगह इस बात का उल्लेख है कि जो लोग अध्यात्मिक उन्नति करना चाहते हैं, उन्हें तुलसी की माला पहननी चाहिए।

पद्म पुराण के मुताबिक जो लोग तुलसी की माला पहनते हैं और अपने शरीर पर चन्दन का तिलक करते हैं। वे भगवान श्रीकृष्ण के उपासक होते हैं और वैष्णव कहलाते हैं। ऐसे श्रीकृष्ण भक्त किसी भी स्थान को वैकुण्ठ की तरह शुभ बना देते हैं।

स्कन्द पुराण के अनुसार जो लोग चन्दन से अपने ललाट और शरीर को भूषित करते हैं और गले में तुलसी माला धारण करते हैं, उन्हें यमराज के दूत भी स्पर्श नहीं कर पाते हैं।

श्रीमद्भागवत गीता के अजामिल प्रसंग में यमराज अपने दूतों से कहते हैं-मेरे दूतों तुम मेरे पुत्रों के समान हो, इसलिए मैं तुम्हे यह समझा देना चाहता हूं कि तुम लोग कभी किसी वैष्णव भक्त को लेने पृथ्वीलोक मत जाना। वे भगवान के भक्त हैं, इसलिए मृत्यु के उपरांत उन पर हमारा कोई अधिकार नहीं है।

जानकारी के लिए बता दें कि जो श्रीकृष्ण भक्त इन चार नियमों का पालन करते हैं, वही तुलसी माला धारण करने योग्य हो सकते हैं। 1- मांसाहार न करना 2- किसी भी प्रकार का नशा न करना 3- जुआ न खेलना 4- परस्त्री गमन न करना

यह सच है कि हमारा पहनावा हमारी सोच को प्रभावित करता है। यदि आप तुलसी की माला पहनते हैं और चंदन का तिलक धारण करते हैं तो निश्चित रूप से आप स्वयं को दूसरों के समक्ष श्री कृष्ण भक्त के रूप में प्रस्तुत करेंगे। जिससे आपकी भक्ति दृढ़ होगी और निषिद्ध कर्म नहीं होंगे।

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