दुनिया का सबसे उन्नत और सबसे तेज नेटवर्क भारत में लॉन्च होने वाला है। इस साल दिवाली पर देश के प्रमुख शहरों समेत कई बड़े शहरों में 5जी नेटवर्क की सुविधा मिलने की तैयारी चल रही है। 5G नेटवर्क एक प्रकार की ऊर्जा उत्पन्न करके काम करता है जिसे इलेक्ट्रोमैग्नेटिक रेडिएशन कहा जाता है। उत्तरार्द्ध वायरलेस नेटवर्क की तुलना में उच्च आवृत्तियों का उपयोग करता है, जिससे वे बहुत तेज हो जाते हैं। विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र 5G द्वारा उत्पादित विद्युत चुम्बकीय आवृत्तियों द्वारा निर्मित होता है। हालांकि, कुछ लोगों का मानना ​​है कि विद्युत चुम्बकीय क्षेत्रों का स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। तो जानिए इस बारे में विशेषज्ञों का क्या कहना है..

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, 5G द्वारा उपयोग की जाने वाली आवृत्तियों में सीमित वृद्धि हुई है। विद्युत चुम्बकीय क्षेत्रों के स्वास्थ्य प्रभावों पर अधिक शोध किया जाना बाकी है, लेकिन वर्तमान में 5G से जुड़े कोई स्वास्थ्य जोखिम नहीं हैं। 5G विशेष रूप से जानवरों को कैसे प्रभावित करता है, इस पर सीमित शोध हुआ है। इस शोध में चूहों को शामिल किया गया है। 2019 में एक पशु अध्ययन में पाया गया कि मोबाइल फोन विद्युत चुम्बकीय क्षेत्रों ने चूहों में डीएनए को नुकसान पहुंचाया।

2016 में एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि किसी भी आवृत्ति के विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र तंत्रिका तंत्र को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा, 2020 की एक खोज से पता चला है कि विद्युत चुम्बकीय क्षेत्र मेंढक और घोंघे जैसे जीवों को प्रभावित करते हैं।

5जी के जारी होने के बाद सोशल मीडिया पर स्वास्थ्य संबंधी कई झूठे दावे किए जा रहे हैं जिनमें कोरोना वैक्सीन में 5जी माइक्रोचिप है। जबकि 5जी रिलीज का इस्तेमाल कोरोना महामारी को कवर करने के लिए किया जा रहा है। 5G से सिरदर्द, माइग्रेन और चक्कर भी आते हैं। हालांकि, इस दावे के पीछे कोई सबूत नहीं है। आपको बता दें कि 5जी की स्पीड 4जी से काफी अलग होगी और इसके लिए भी इंटेंस रेडिएशन की जरूरत होती है।

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