नायाब वास्तुकला से सजी है ये ऐतिहासिक नीली मस्जिद
बस कुछ दिन बाद ईद आने वाला है। और जश्न में पूरा देश तैयारी में लगा है, लेकिन आज हम इस्लाम धर्म की ऐसी ऐतिहासिक धरोहरों में शामिल मस्जिद के बारे में बात करेंगे जिसका निर्माण 1609 से 1616 के बीच हुआ। इसकी बनावट इस्लाम में मिलते कुछ पौराणिक उद्धरणों से ली गई है। आंतरिक दीवारों का रंग नीला होने के कारण इसे नीली मस्जिद कहते हैं। तुर्की के शासक रहे सुल्तान अहमद ने इस मस्जिद को अपने कुशल वास्तुकार सेदीफकर मेहमद आगा से करवाया था। नीली मस्जिद में रमजान के समय विशेष रौनक रहती है। कई परिवार यहां रोजा इफ्तार के लिए इकट्ठा होते हैं।
आमतौर पर दुनिया की हर मस्जिद की 4 मीनारें होती हैं, लेकिन इसमें 6 मीनारें हैं। मस्जिद के बीच का गुंबद सबसे विशाल है। जिसमें चारो और से मिलाकर लगभग 28 खिड़कियां बनी हुई हैं। मस्जिद में प्राकृतिक प्रकाश की व्यवस्था करते हुए शीशे की 200 से अधिक खिड़कियां बनाई गई हैं।
मस्जिद के अंदर कई लैम्प को सोने के रत्नों से कवर किया गया था। इसके गुंबदों में बहुमूल्य पत्थर लगे हुए हैं। नीली मस्जिद में रमजान के समय विशेष रौनक रहती है। कई परिवार यहां रोजा इफ्तार के लिए इकट्ठा होते हैं। मस्जिद में एकसाथ 10 हजार लोग नमाज में शामिल हो सकते हैं।