जयमाल अथवा वरमाला हिन्दुओं में होने वाली विवाह व्यवस्था की एक महत्वपूर्ण रस्म है। इसमें दूल्हा और दुल्हन एक दुसरे के गले में फूलों का हार पहनाते है। जयमाल समारोह का उल्लेख प्राचीन पौराणिक साहित्यों में भी मिलता है। प्राचीन काल मे इस परंपरा का जो महत्व था वही महत्व आज भी है।

ये परम्परा हिन्दू संस्कृति के प्राचीन ग्रंथों में से एक ग्रन्थ रामायण में सीता और राम के विवाह का एक प्रसंग आया है, जिसमे जयमाल समारोह का आयोजन हुआ था। इसके अलावा महाभारत में भी जयमाला प्रथा का उल्लेख है, जिसमे द्रोपदी ने अर्जुन को जयमाला डाल कर ही अपना पति चुना था। इसके बाद से ऐसी मान्यता है कि हिन्दुओं में होने वाली विवाह व्यवस्था में जयमाल महत्वपूर्ण रस्म है।

जयमाल में दूल्हा व दुल्हन एक दूसरे को माला पहनाते हैं। मान्यता है कि दूल्हा और दुल्हन एक दूसरे को माला पहनाकर आपसी स्वीकृति प्रदान करते हैं। उसके बाद दूल्हा व दुल्हन का गठबंधन कर अग्नि के सामने सात फेरों के सात वचन लिए जाते हैं। जिसके बाद विवाह सम्पूर्ण होता है।

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