भगवान शिव को बिल्वपत्र बेहद प्रिय है इसलिए महाशिव रात्रि पर भगवान शिव को बिल्वपत्र अर्पित किए जाते हैं। कहा जाता है कि भगवान शिव को बिल्वपत्र अर्पित करने से बहुत लाभ होता है। आज हम आपको इस बारे में बताने जा रहे हैं कि बिल्वपत्र को कब तोड़ना चाहिए और कब नहीं। आइए जानते हैं इस बारे में पूरी जानकारी।

बिल्वपत्र कब न तोड़ें - ज्योतिषों के अनुसार बिल्वपत्र चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी, अमावस्या, संक्रांति काल एवं सोमवार को नहीं तोड़ना चाहिए।लिंगपुराण के अनुसार शिव या देवताओं को बिल्वपत्र प्रिय होने के कारण इसे अर्पित करने के लिए कोई खास समय नहीं होता है क्योकिं इसे कभी भी अर्पित किया जा सकता है। यदि आप भगवान को बिल्वपत्र अर्पित करना चाहते हैं और उस दिन इसे तोडना निषेद्ध है तो आपको इसे एक दिन पहले ही तोड़ लेना चाहिए। बिल्वपत्र कभी बासी नहीं होते और यह कभी अशुद्ध भी नहीं हो सकते हैं। आपको इन्हे धोने के बाद ही भगवान को अर्पित करना चाहिए।

बिल्वपत्र के वे ही पत्र पूजार्थ उपयोगी हैं जिनके तीन पत्र या उससे अधिक पत्र एकसाथ संलग्न हों। यदि पत्तियां तीन से कम हो तो ये पूजा में अर्पित करने योग्य नहीं है। प्रभु को अर्पित करने से पहले बिल्वपत्र की डंडी या डंठल को तोड़ देना चाहिए। बिल्वपत्र को चढ़ाते समय ये भी ध्यान रखना चाहिए कि पत्ती का चिकना भाग नीचे की ओर रहे। संख्या में विषम संख्या का ही विधान शास्त्रसम्मत है।

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