शनिदेव के बारे में कहा जाता है कि अगर उनकी दृष्टी सीधी किसी पर पड़ जाए तो वह भस्म हो जाता है। यही कारण है कि उनकी पूजा करते हुए बहुत सी सावधानी रखनी चाहिए। पूजा के दौरान इस बात का खास ध्यान रखना चाहिए, कि शनिदेव की नाराजगी आपके जीवन में मुस्किले ला सकती है। भगवान शनि बेहद ही गुस्सैल प्रकृति के माने जाते हैं। अगर भूल से भी उनकी पूजा में भूल हो जाती है तो वह उसे माफ नहीं कर पाते। इसलिए जानें पूजा करने के कुछ नियम।

शनिदेव को जल या तेल चढ़ाने के लिए लोहे के पात्र का इस्तेमाल करें।शनिदेव को लाल रंग की कोई चीज न चढ़ाएं। न फूल न कपड़ा बल्कि उन्हें हमेशा काले रंग से जुड़ी चीजें ही अर्पित करें।

सूर्य उदय के पहले और सूर्यास्त के बाद ही शनिदेव की पूजा की जानी चाहिए। शनिदेव की मूर्ति या प्रतिमा कभी घर में नहीं रखनी चाहिए। उनकी पूजा मंदिर में करें।

शनिदेव को तेल जब भी चढ़ाएं उसमें काला तिल जरूर हो। खाली तेल नहीं चढ़ाया जाता। शनिवार को पीपल के पेड़ में जल और दीपक जलाएं। शनिवार को तेल का दान करना अपने पर से विपत्ति को हटाने जैसा होता है। इसलिए सरसों का तेल दान जरूर करें।

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