150 साल का हुआ बंगाली 'रसगुल्ला', जानें कैसे हुआ इसका जन्म
इंटरनेट डेस्क। बंगाल के मशहूर रसगुल्ला से तो आप सभी परिचित होंगे। जिसे देखकर हमारे मूह में पानी आ जाता हैं वो बंगाली रसगुल्ला अब 150 साल का हो गया हैं। इस मौके को ख़ास बनाने के लिए शुक्रवार को बंगाल की राजधानी कोलकाता में ‘बागबाजार-ओ-रसगुल्ला उत्सव’ का आयोजन किया गया। इसके साथ ही रसगुल्ला के 150 वर्ष पूरे होने पर विशेष डाक टिकट और विशेष कवर भी जारी किया गया हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दे 'बागबाजार' कोलकाता के उत्तर में बसा हुआ हैं। यहां रसगुल्ला की खोज करने वाले नोबिन चंद्र दास का निवास हुआ करता था। उन्होंने साल 1868 में रसगुल्ला की खोज की। जो धीर-धीरे हर बंगाली परिवार की मिठाई बन गई और देश-विदेश में प्रसिद्द हुई। रसगुल्ले के ऊपर तो बंगाल का पडोसी राज्य ओडिशा के साथ लंबा विवाद चला। पिछले साल ही नवंबर में बंगाल को भौगोलिक पहचान (जीआई) का टैग मिला।
बंगाल को यह टैग मिलने के बाद ओडिशा को रसगुल्ला के ऊपर से अपना दावा छोड़ना पड़ा। शुक्रवार को हुए इस कार्यक्रम में नगर पालिका मामलों और शहरी विकास मंत्री फिरहाद हाकिम ने कहा कि, हम बंगालियों से रसगुल्ला नहीं छीना जा सकेगा क्योंकि यही तो हमारी पहचान हैं। वही इस मौके पर मौजूद रहे टीएमसी सांसद सुदीप बंदोपाध्याय ने कहा, मुम्बई देश की आर्थिक राजधानी तो बंगाल सांस्कृतिक राजधानी कहि जा सकती हैं।