हिंदू धर्म में यह प्रचलित मान्यता है कि पवनपुत्र हनुमान जी आज भी इस धरती पर मौजूद हैं। धर्म ग्रंथों में हनुमान जी को भगवान शिव का अवतार माना जाता है। संस्कृत में हनुमान जी के 108 नाम हैं और हर नाम का अर्थ उनके जीवन के अध्यायों का सार बताता है।

लोककथा के अनुसार, हनुमान जी ने भी रामायण की रचना की थी। कहा जाता है कि लंका विजय और भगवान श्रीराम के राज्याभिषेक के बाद हनुमान जी हिमालय पर्वत पर चले गए और वहां पत्थर पर श्रीराम कथा को अपने नाखूनों से उकेरा। जब महर्षि वाल्मीकि स्वयं द्वारा रचित रामायण दिखाने के लिए हनुमान जी के पास गए तो उन्होंने यहां वर्णित रामायण देखा। महर्षि वाल्मीकि का मानना था कि हनुमान जी द्वारा रचित रामायण श्रेष्ठ है। इसके बाद हनुमानजी ने अपने द्वारा रचित रामायण को मिटा दिया।

हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, हनुमान जी की पूजा करते समय काले अथवा सफेद वस्त्र नहीं धारण करना चाहिए। हनुमान जी की पूजा के लिए लाल या पीले वस्त्र ही उत्तम माने गए हैं। हनुमान जी की पूजा के दौरान पवित्रता का विशेष ध्यान रखें। हनुमान जी की पूजा में चरणामृत का प्रयोग नहीं करना चाहिए। घर के मंदिर में हनुमान जी की खंडित प्रतिमा कभी नहीं रखनी चाहिए।

Related News