स्वर्ण मंदिर के इतिहास से जुड़ी ये बातें नहीं जानते होंगे आप
अमृतसर का स्वर्ण मंदिर केवल सिक्खों का पावन धर्म स्थल ही नहीं है, बल्कि भारत के सबसे प्रसिध्द मंदिरों में से एक है। जहां रोज़ लाखों की संख्या में भक्तों का भीड़ उमड़ता है। बात करें इस मंदिर की तो ये बहुत ही खूबसूरत है। लेकिन इस स्वर्ण मंदिर के पीछे कुछ खास और बेहद दिलचस्प बातों जुड़ी है,जिसके बारे में बहुत काम लोग जानते है।
सिक्खों के आस्था के प्रतीक स्वर्ण मंदिर की नींव सूफी संत साई हज़रत मियां मीर द्वारा रखी गई थी।कहा जाता है कि गोल्डन टेंपल के निर्माण के लिए ज़मीन मुस्लिम शासक अकबर ने दान की थी।
स्वर्ण मंदिर के द्वार सभी धर्मों के अनुयायियों की आने की अनुमति है। चारों दिशा में बने इस मंदिर के चार द्वार इसी बात की ओर इशारा करते हैं कि इस मंदिर में किसी भी धर्म, जाति, जगह के लोग आ सकते हैं।
इस मंदिर को स्वर्ण मंदिर का नाम इसलिए दिया गया है क्योकि मंदिर के बाहरी परत पर चढ़ी सोने सोने की चादर की वजह से दिया गया था, जिसे मंदिर बनने के कईं सौ साल बाद महाराजा रंजीत सिंह ने चढ़वाया था।
यहां रोज़ दुनिया का सबसे बड़ा लंगर आयोजित किया जाता है जिसमें लाखों लोग भोजन करते हैं। यहां जूते एकत्रित करने से लेकर थाली साफ करने तक आप यहां सेवा कर सकते हैं।