इंटरनेट डेस्क| संजू में संजय दत्त की लाइफ के हर उतार-चढ़ाव को दिखाया गया है। किस तरह संजय दत्त अपने संघर्ष भरे जीवन में मुसीबतों का सामना करते हुए आगे बढ़ते हैं। खुद को बेकसूर साबित करने के लिए संजय दत्त के पिता और उनके दोस्त कमलेश उनका पूरा साथ देते है। फिल्म में मीडिया को आडे हाथों लिया है। ऐसा लगता है कि संजय दत्त को जेल या फिर टेरेरिस्ट कहना सब मीडिया के कारण ही हुआ। मीडिया की चटपटी खबरों ने ही संजय दत्त के जीवन को मुकदमों भरा बना दिया। उन्हें अवैध हथियार रखने के मामले में गिरफ्तार कर लिया गया।

अगर आपने फिल्म देखी है तो आपको वो सीन याद होगा जिसमें संजू का दोस्त एक अखबार की कटिंग लेकर उनके पास जाता है। जिसकी हेडिंग होती है 'आरडीएक्स इन ए ट्रक पार्क्ड इन दत्त हाउस'? इस दिन से ही संजय दत्त की लाइफ में मुसीबतें शुरू हो जाती है। इसके बाद एक के बाद एक केस उन पर लगता रहता है। लेकिन यह खबर दुनिया को मुंबई धमाकों में संजय दत्त को जोड़े होने का कोई प्रमाण नहीं देती। आपको बात दें कि संजय दत्त के बम धमाकों के बारे में पहली बार मुंबई के एक अखबार से पता चला था।मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 16 अप्रैल, 1993 में मुंबई के एक टैबलायड 'डेली' में जो खबर छपी थी उससे मुंबई बम धमाकों का पता चला था। उस समय छपी खबर का टाइटल था 'संजय हैज़ एके-56 गन'। वहां के क्राइम रिपोर्टर ने इस खबर को छापा था। ऐसा कहा जाता है कि वो रिपोर्टर किसी पुलिस स्टेशन पर खबर के सिलसिले में गए थे। वहीं से आईएएस ने इसके बारे में क्लू दिया था। इसके अलावा फिल्म में आपने देखा कि संजय दत्त को अंडरवर्ल्ड डॉन से संपर्क में बने रहने के कारण टेरेरिस्ट भी कहा गया।

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