सिनेमा जगत में इन्हें आज भी फिल्मों का मोहम्मद अली कहा जाता रहा है। सिनेमा जगत को काफी ऊचाइयों तक पहुंचाने में इनका योगदान रहा है , संगीत के सुर इनके काफी करीब थे इसलिए ये खुद संगीत निर्माता, संगीतकार के साथ मधुर संगीत निर्देशक भी रहे है। हम बात कर रहे है ओ. पी. नेय्यर साहब की। जिन्हें फिल्म नया डोर के लिए सर्वश्रेष्ठ संगीत निर्देशक के लिए फिल्मफेयर अवार्ड मिला। इनका जन्म पंजाब में 16 जनवरी, 1926 को हुआ। नेय्यर साहब अपनी आवाज से दर्शकों के दिलों में राज करते थे। इन्हें बॉलीवुड में लेन का श्रेय संगीतकार गीता दत्त को जाता है।

उन दिनों संगीत के कलाकारों में नेय्यर के साथ गीता दत्त, मोहम्मद रफ़ी और आशा भोसले का सिनेमा जगत बड़ा नाम था। नेय्यर ने रवींद्रनाथ टैगोर साथ बंगाली भाषा की फिल्म समंद में "चल अकेला, चल अकेला" गाने पर काम किया। आपको बता दे कि ओ. पी. नेय्यर ही थे जिन्होंने आशा भोसले को सिनेमा में अपनी पहचान दिलाई है। आशा भोसले और नेय्यर दोनों ने कई फिल्मों में साथ काम किया और उसी समय दोनों के अफेयर के चर्चा भी होने लगी। बॉलीवुड के इवेंट हो या कहीं पार्टी में जाना हो दोनों हमेशा साथ दिखाई देते थे। लेकिन खास बात ये है कि आशा भोंसले जहां तलाकशुदा महिला थी वहीं नेय्यर एक शादीशुदा शख्स थे। दोनों के साल1958 से लेकर 1972 तक अफेयर की खबरें आये दिन सुर्खियों में रही थी। दोनों का 14 साल तक अफेयर था। लेकिन दोनों का यहीं प्यार दोनों की बर्बादी का कारण भी बन गया था। वहीं साल 1972 में ही दोनों में किसी बात को लेकर ऐसी अन - बन हुई के उसके बाद दोनों एक साथी कभी नहीं दिखें।

साल 1973 में आशा भोंसले को फिल्म ‘प्राण जाए पर वचन न जाए’ के एक गाने के लिए अवार्ड दिया गया। लेकिन वे उस अवार्ड शो में नहीं गयी लेकिन वो अवार्ड उनकी तरफ़ से नेय्यर साहब ने लिया और फ़ोन पर कुछ बात करने के बाद नेय्यर घर जाते समय कार से सड़क पर ट्रॉफी फेंकते हुए निकल गए। नेय्यर को उनके परिवार ने भी आशा से रिश्ते के कारण नकार दिया गया। जिसके बाद वे अपना सबकुछ छोड़ कर अनजाने परिवार के साथ रहने लगे। अपने जीवन के अंतिम पड़ाव पर वे गुमनामी की गहराई में डूबते हुए एक दिन 81 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कह गए।

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