बॉलीवुड इंडस्ट्री में लोगों की दोस्ती जितनी जल्दी होती है उतनी ही जल्दी टूट भी जाती है। लेकिन बॉलीवुड की दुनिया में कई बेस्ट फ्रेंड्स भी हैं। ऐसे ही दोस्त थे विनोद खन्ना और महेश भट्ट। एक वक्त था जब इनकी गहरी दोस्ती की मिसाल लोग देते थे। महेश भट्ट के कहने पर ही विनोद ने उनके भाई मुकेश भट्ट को सेक्रेटरी बनाने का फैसला लिया था।

विनोद जिस समय रजनीश के आश्रम गए उन सब चीजों में भी महेश भट्ट का ही हाथ था। मगर दोनों की गहरी दोस्ती में उस वक्त दरार पड़ गई जब विनोद खन्ना ने गुस्से में मुकेश भट्ट को भरे स्टूडियो में एक साथ कई थप्पड़ मार दिए थे। आइए जानते हैं उन्होंने ऐसा क्यों किया।

महेश के कहने पर गए थे रजनीश की शरण में
महेश भट्ट एक्ट्रेस ही नहीं बल्कि एक्टर्स की लाइफ में भी खूब दखल देते हैं। अस्सी के दशक में विनोद खन्ना एक ऐसे मुकाम पर थे जहां अमिताभ बच्चन भी उनसे मात खा सकते थे। उस वक्त विनोद खन्ना इंडस्ट्री के टॉप के एक्टर थे। 1979 में विनोद खन्ना ने महेश भट्ट की फिल्म लहू के दो रंग में काम किया। इस बीच विनोद खन्ना के परिवार में कई मौतें हुई जिस से वे काफी अकेला महसूस कर रहे थे। उनका मन अब कहीं नहीं लग रहा था। ऐसे में महेश भट्ट ने विनोद खन्ना को ओशो से मिलवाया और उनके आश्रम में लेकर गए।

फिल्म ‘इंसाफ’ से वापसी
महेश की सलाह पर रजनीश के आश्रम गए विनोद खन्ना गए लेकिन वहां पर उनका मन नहीं लगा तो ‘इंसाफ’ से धमाकेदार वापसी की। उस समय महेश ने अपने भाई मुकेश को प्रोड्यूसर बनाया और विनोद खन्ना के साथ फिल्म ‘जुर्म’ की शुरुआत की। महेश फिल्म तो बनाना चाहते थे लेकिन पैसे देने में आनाकानी करते थे। भट्ट की यही हरकत विनोद को चुभ गई और शूटिंग टालने लगे। महेश की हरकतों से नाराज विनोद ने 40 दिनों तक शूटिंग कैंसिल कराई थी। इसलिए महेश के भाई मुकेश भट्ट ने विनोद खन्ना के खिलाफ जहर उगलना शुरू कर दिया।

कुछ समय तक विनोद जब सुनते रहे लेकिन जब हद पार हो गई तो उन्हें बेहद गुस्सा आया। फिर जब स्टूडियो में विनोद और मुकेश का आमना-सामना हुआ तो उन्होंने मुकेश भट्ट को दो तीन थप्पड़ मार दिए। फिल्म जुर्म के दौरान हुई इन घटनाओं की वजह से महेश-विनोद की दोस्ती भी खत्म हो गई और महेश भट्ट ने ऐलान किया कि, ‘मैं विनोद के स्पॉट ब्वॉय को हीरो बना लूंगा, लेकिन विनोद को अपनी फिल्मों में साइन नहीं करूंगा।’

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