"वास्तविक स्वतंत्रता" पर कंगना रनौत के विचारों ने काफी हलचल मचाई है। अनजान लोगों के लिए, कंगना ने एक टीवी चैनल के साथ एक साक्षात्कार में कथित तौर पर कहा था, "भीख मांगने से मिली आजादी, वास्तविक आजादी नहीं है। हमने 2014 में वास्तविक आजादी हासिल की थी।"

कंगना रनौत ने कहा है कि अगर आजादी को लेकर उनका बयान गलत साबित हुआ तो वह अपना पद्मश्री लौटा देंगी।

उन्होंने लिखा, “1857 में आजादी के लिए पहली संगठित लड़ाई लड़ी गई....साथ में सुभाष चंद्र बोस, रानी लक्ष्मीबाई और वीर सावरकर जी के बलिदान पर भी बात की गई। 1857 का मुझे पता है लेकिन 1947 में कौन सी लड़ाई लड़ी गई इसकी मुझे जानकारी नहीं है। अगर कोई मेरी इस बात पर जानकारी बढ़ाए तो मैं अपना पद्म श्री अवॉर्ड वापस कर माफी मांग लूंगी... कृपया मेरी मदद करें।'"

उन्होंने आगे लिखा, "मैंने एक शहीद रानी लक्ष्मी बाई की फीचर फिल्म में काम किया है... आजादी की पहली लड़ाई 1857 पर बड़े पैमाने पर शोध किया गया... राष्ट्रवाद का उदय हुआ तो दक्षिणपंथी भी... लेकिन अचानक मौत क्यों हुई? और गांधी ने भगत सिंह को क्यों मरने दिया ... नेता बोस को क्यों मारा गया और गांधी जी का समर्थन कभी नहीं मिला? एक श्वेत व्यक्ति द्वारा विभाजन की रेखा क्यों खींची गई ...? स्वतंत्रता का जश्न मनाने के बजाय भारतीयों ने एक-दूसरे को क्यों मारा कुछ जवाब जो मैं मांगर ही हूं कृपया मुझे जवाब खोजने में मदद करें।

उन्होंने लिखा, 'जहां तक 2014 में मिली आजादी की बात है तो मैं खास तौर पर कहा कि भले ही हमारे पास भौतिक आजादी थी लेकिन भारत की चेतना और विवेक को आजादी 2014 में मिली। एक मृत सभ्यता को जान मिली और उसने अपने पंख फैलाए और अब यह जोरदार तरीके से दहाड़ रही है। आज पहली बार लोग इंग्लिश नहीं बोलने या छोटे शहर से आने या मेड इन इंडिया प्रॉडक्ट बनाने के लिए हमारी बेइज्जती नहीं कर सकते। उस इंटरव्यू में सब कुछ साफ किया गया है लेकिन जो चोर हैं उनकी तो जलेगी कोई बुझा नहीं सकता। जय हिंद।'

जहां आम आदमी पार्टी ने मुंबई पुलिस विभाग में शिकायत दर्ज कर उनके खिलाफ "देशद्रोही और भड़काऊ" टिप्पणी के लिए मामला दर्ज करने की मांग की, वहीं भाजपा सांसद वरुण गांधी सहित सभी दलों के सांसद उनकी टिप्पणी से नाराज थे।

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