बॉलीवुड अभिनेता महमूद ने अपने ​आखिरी दिनों में कहा था- बच्चन साहब तो सिर्फ पैदा करने वाले बाप हैं, लेकिन मैं वो बाप हूं जिसने उसे कमाना सिखाया। जी हां, उक्त पंक्तियां उन्होंने सदी के महानायक अमिताभ बच्चन के लिए कही थी। महमूद ने कहा था- जब वह पीछे से मेरी आवाज सुनता था तो खड़ा हो जाता था, उसे अपने घर में रखा। मैंने उसे पिक्चरों मेें काम दिलवाया।

लेकिन जब मेरी ओपन हार्ट सर्जरी हुई, उन दिनों अमित के पिता हरिवंश राय भी उसी ब्रीच कैंडी (अस्पताल) में थे, जहां मैं भर्ती था। लेकिन अमित मुझसे मिलने नहीं आया। उसने दिखा दिया कि असली बाप असली होता है और नकली बाप नकली होता है। उसने एक छोटा सा फूल भी नहीं भेजा। खैर, मैं बाप ही हूं उसका और कोई बद्दुआ नहीं दी। आई होप, दूसरों के साथ ऐसा ना करे। जानकारी के लिए बता दें कि साल 2004 में महमूद का निधन हुआ था।

अमिताभ अपने मुंह से खुद कहते हैं कि जब बॉलीवुड के तमाम लोग उनकी नाकामी की भविष्यवाणी कर चुके थे। तब मह​मूद ने उन पर पूरा भरोसा जताया। अमिताभ कहते हैं कि फिल्म सात हिंदुस्तानी की शूटिंग के वक्त मेरी पहली मुलाकात महमूद भाई से हुई। वह मुझे डेंजर डायबॉलिक कहकर बुलाते थे। वह पहले प्रोड्यूसर थे, जिन्होंने मुझे बॉम्बे टु गोवा में लीड रोल दिया था। जब मेरी फिल्में सात हिंदुस्तानी, रेशमा और शेरा, रास्ते का पत्थर, बंधे हाथ और बंसी बिरजू नाकाम होने लगी तब मैंने निर्णय कर लिया था कि अपना बोरिया-बिस्तर समेटकर घर चला जाउंगा। लेकिन महमूद भाई ने मुझे बॉम्बे टु गोवा के लिए साइन किया।

मीना कुमारी की बहन मधु से शादी करने और एक बच्चे के बाप बनने के बाद महमूद ने पैसे कमाने के लिए एक्टिंग शुरू की। महमूद ने 1975 में रिलीज हुई फिल्म परवरिश से अपने फिल्मी करियर की शुरूआत की, इस मूवी में राज कपूर और माला सिन्हा ने प्रमुख भूमिका निभाई। इसके बाद गुरु दत्त जैसे फिल्मकार ने उन्हें सीआईडी और प्यासा जैसी फिल्मों में काम देकर महमूद को महान बना दिया। इस बात को महमूद कभी नहीं भूल सके। उन्होंने अपने बेडरूम में गुरुदत्त साहब का एक बड़ा सा फोटो लगाकर रखा था।

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