ये हैं दक्षिण एशिया की पहली कव्वाली गाईका, पाक क्रिकेटर के साथ पकड़ी गई थी कमरे में, क्रिकेटर का टुटा था हाथ
नूरजहां उर्दू और हिन्दी फिल्म की सुप्रसिद्ध गायिका और अभिनेत्री थीं जिन्होंने अपनी दिलकश आवाज़ और अभिनय से लगभग चार दशक तक श्रोताओं के दिल पर अपनी अमिट छाप छोड़ी। उनका जन्म 21 सितंबर 1926 को पंजाब के छोटे से शहर कसुर में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके बचपन का नाम अल्लाह वासी उर्फ नूरजहां रखा गया। कहते हैं कि जन्म के समय उनके रोने की आवाज सुन उनकी बुआ ने कहा 'इस बच्ची के रोने में भी संगीत की लय है। यह आगे चलकर प्लेबैक सिंगर बनेगी।' नूरजहां के माता पिता थिएटर में काम करते थे।
1947 में भारत विभाजन के बाद नूरजहां ने पाकिस्तान जाने का निश्चय कर लिया। फिल्म अभिनेता दिलीप कुमार ने जब नूरजहां से भारत में ही रहने की पेशकश की तो नूरजहां ने कहा 'मैं जहां पैदा हुई हूं वहीं जाउंगी।' 1963 में उन्होंने अभिनय की दुनिया को अलविदा कह दिया। वर्ष 1982 में इंडिया टॉकी के गोल्डेन जुबली समारोह में उन्हें भारत आने को न्योता मिला।
नूरजहां पहली पाकिस्तानी महिला फिल्म निर्माता रहीं। - नूरजहां फिल्मी निर्माता, गायिका, अभिनेत्री और म्यूजिक कंपोजर रहीं। - नूरजहां ने हिन्दी, उर्दू, सिंधी, पंजाबी जैसी भाषाओं में कुल 10 हजार से ज्यादा गाने गाए। - 1945 में नूरजहां ने फिल्मी बड़ी मां में लता मंगेशकर व आशा भोंसले के साथ एक्टिंग की। - 1945 में नूरजहां की आवाज में दक्षिण एशिया में पहली बार किसी महिला की आवाज़ में कव्वाली रिकॉर्ड की गई। 'आहें न भरे, शिकवे न किए' यह कव्वाली उन्होंने जोहराबाई अंबालेवाली और अमीरबाई कर्नाटकी के साथ गाई। - नूरजहां ने 12 मूक फिल्मों में भी काम किया।
एक इंटरव्यू के दौरान नूरजहां से जब से पूछा गया था कि उनके अब तक कितने आशिक रहे, तो उन्होंने इस बात का जवाब पंजाबी में दिया था और उन्होंने कहा था- हाय अल्लाह! ना ना करदियां भी 16 हो गए। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, एक बार नूरजहां के पति ने उनको नजर मोहम्मद के साथ कमरे में रंगे हाथों पकड़ा था, जिसकी वजह से नजर मोहम्मद पहली मंजिल की खिड़की से नीचे कूद गए थे और उनका हाथ टूट गया था।
नूरजहां के निधन के बाद पाकिस्तानी पत्रकार खालिद हसन ने लिखा था- दिल का दौरा तो उन्हें पड़ना ही था, पता नहीं किसके कितने दावेदार थे उसके और पता नहीं कितनी बार वो धड़का था।