भारत में आखिरी बार 1948 में छत्तीसगढ़ के जंगलों में चीता देखा गया था,फिर सन्न 1952 में देश में चीतों को विलुप्त करार दे दिया गया था,लेकिन अब फिर से अफ्रीकी देश नामीबिया से चीतों को भारत में लाया जा रहा है. इन चीतों को मध्यप्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में शनिवार को छोड़ा जाएगा, प्रोजेक्ट के तहत भारत में चीतों को फिर से बसाने का काम किया जा रहा है।
अगर बात करे चीतों के जीवनकाल की तो ये औसतन 12 साल की उम्र तक जीवित रहते हैं,नर और मादा चीता की औसतन उम्र 10 से 12 साल होती है. हालांकि, नर चीता की औसत उम्र मादा के मुकाबले कम होती है. नर चीता जंगलों में औसतन 8 साल ही जी पाते हैं, एक युवा चीता की जिंदगी जंगलों में काफी कठिन होती है, क्योंकि अधिकतर की मौत एक-दूसरे से लड़ने और प्रतिद्वंदिता में हो जाती है,नेशनल पार्क और वाइल्ड लाइफ रिजर्व में चीतों के शावकों की मृत्यु दर अधिक होती है,ऐसे क्षेत्रों में शावकों की मृत्यु दर 90 फीसदी तक हो सकती है, क्योंकि शेर, बाघ और लकड़बग्घे जैसे जानवर उनका शिकार कर लेते हैं।


चीतों को रहने के लिए एक बड़े आवास की जरूरत होती है क्योकि जैसे-जैसे जंगल खत्म हो रहे हैं, वैसे-वैसे चीतों का इंसानों से आमना-सामना होता है और इंसानों और चीतों का आमना-सामना उनके जीवन के लिए सबसे बड़ा खतरा है.क्योंकि जब चीता पालतू जानवरों पर हमला करेत हैं, तो इंसान सेल्फ-डिफेंस में उन्हें मार डालते हैं।

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