सोशल मीडिया से आज की पीढ़ी हो रही है खराब, कैसे पड़ती है ये लत, जानें
इंटरनेट डेस्क। सोशल मीडिया आज कई युवा लोगों के लिए जीवन का एक अहम हिस्सा बन चुका है। अधिकतर लोग सोचने जैस काम के लिए भी सोशल मीडिया पर लगे रहते हैं। सोशल मीडिया का हमारे जीवन पर क्या प्रभाव पड़ता है, चाहे वह सकारात्मक या नकारात्मक हों। क्या हम एक समाज के रूप में फेसबुक या सोशल मीडिया को लेकर चिंतित हैं, तो आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि हमारे आम जीवन में सोशल मीडिया का क्या फर्क पड़ता है।
सोशल मीडिया के दोनों तरह के सकारात्मक और नकारात्मक पहलू हैं, लेकिन हमें इनके बारे में जानना बहुत जरूरी है।
कॉलेज जाने वाले छात्रों के लिए साबित हुआ खतरनाक-
फेसबुक पर रोज के 106 मिनट बिताने वालों के लिए एक स्टडी की गई जिसमें पाया गया कि कॉलेज के छात्रों के ग्रेड 12 अंक तक गिरते हैं। एक और अध्ययन से पता चला है कि ऑनलाइन ज्यादा समय बिताने वाले छात्र 20% तक कम स्कोर करते हैं। सोशल नेटवर्किंग साइट कर्मचारियों की उत्पादकता को नुकसान पहुंचाती है। 25-34 साल के उपयोगकर्ताओं के 51% ने काम पर सोशल मीडिया के प्रभाव को पाया है।
प्राइवेसी की कमी-
ऑनलाइन, जब लोग, विशेष रूप से युवा, अक्सर व्यक्तिगत जानकारी को सबके साथ सार्वजनिक कर देते हैं जिससे उनकी प्राइवेसी को खतरा रहता है वे शायद इस बात से अनजान होते होंगे। 21% किशोरों का मानना है कि फोटो सहित व्यक्तिगत जानकारी पोस्ट करना सुरक्षित नहीं है।
बीमा कंपनियां सोशल मीडिया से मिली जानकारी का भी उपयोग करती हैं। यदि आपको मेडिकल से संबंधित पृष्ठ या स्वास्थ्य की स्थिति के बारे में एक पोस्ट पसंद आया है, तो उस जानकारी को कभी-कभी बीमा कंपनियों द्वारा योग्यता निर्धारित करने और दरों को बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है।
अपराध के लिए संवेदनशील प्लेटफॉर्म-
सोशल नेटवर्किंग साइट के जरिए अपराधों को भी बढ़ावा मिला है जिसके कारण किसी ना किसी तरह की नफरत फैलाने का भी काम किया जाता है। सोशल मीडिया के जरिए युवा के मानसिक लेवल को कमजोर किया जा रहा है और उन्हें बरगलाया जाता है। इसके अलावा हैकिंग, पहचान चोरी और वायरस जैसे मामलों को भी बढ़ते हुए देखा गया है।
वहीं व्यापक ऑनलाइन जुड़ाव से व्यक्तित्व और मस्तिष्क विकारों जैसे सोसल स्किल, एडीएचडी, तत्काल संतुष्टि की आवश्यकता और नशे की लत में भी काफी तेजी देखी गई है।
गलत जानकारी पहुंचना-
झूठी अफवाहों और अविश्वसनीय जानकारी के प्रसार के लिए सोशल मीडिया तेजी से एक ऐसा ही प्लेटफॉर्म बनता जा रहा है जिससे युवा पीढ़ी में दिमागी तौर पर बुरा असर पड़ रहा है।
समय की बर्बादी-
जब किसी नए पोस्ट या कोई ट्वीट किया जाता है तो औसत उपयोगकर्ता को अपने मूल काम में वापस आने में लगभग 20 से 25 मिनट लगते हैं।