संत कबीर दास जी महान व्यक्ति थे। कबीर जी के दोहे जगत में मशहूर हैं। कबीर जी के दोहों का अनुसरण कर अपना पथ निर्धारण करने वाले इस जगत में काफी लोग हैं। आज के इस आर्टिकल में हम आपको बताने जा रहे हैं संत कबीर के चर्चित दोहे और उनकी व्याख्या ...

दोहा 1: काल करे सो आज कर, आज करे सो अब ... पल में परलय होएगी, बहुरी करोगे कब।

व्याख्या: कबीर जी इस दोहे के माध्यम से कहना चाहते हैं कि, कल का काम आज ही ख़त्म करे कही ऐसा ना हो कल को प्रलय आ जाए और आप कुछ नहीं कर सको।

दोहा 2: ऐसी बानी बोलिए, मन का आपा खोए ... अपना तन शीतल करे, औरन को सुख होए।

व्याख्या: कबीर जी के इस दोहे का मतलब हैं, हमेशा ऐसा बोलना चाहिए जिसमें आपका घमंड नहीं दिखे। आप खुद भी सुकून से रहें और दूसरे भी सुखी रहें।

दोहा 3: धीरे-धीरे रे मन, धीरे सब-कुछ होए ... माली सींचे सौ घड़ा, ऋतु आए फल होए।

व्याख्या: संत कबीर ने इस दोहे के माध्यम से कहा हैं कि, इस दुनिया में सभी चीजें स्पीड से घटती हैं इसलिए जल्दबाजी करने से कुछ नहीं होता। दूसरी लाइन से कहा गया हैं कि, माली पूरे साल पौधे को सींचता है लेकिन समय आने पर ही उसमें फल लगते हैं।

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